बर्थडे वाले दिन ही लगा लॉकडाउन
‘मेरे बर्थडे वाले दिन ही लॉकडाउन की शुरुआत हुई। ऐसे में दुख तो हुआ लेकिन कोरोना के चलते घर बैठने को मजबूर इंडस्ट्री के कामगारों की मदद कर अपना बर्थडे सेलिब्रेट किया। इन्हीं की मेहनत से हम संगीत, फिल्म, गाने और दूसरे प्रोजेक्ट्स पूरा कर पाते हैं। कोरोना के बाद सिनेमाघर नहीं खुल सके हैं। हम लोग 10 जनवरी को 10 शहरों से 17 थिएटर्स में लाइव म्यूजिक कॉन्सर्ट स्ट्रीम कर रहे हैं। इसे करने के पीछे हमारा उद्देश्य है कि कोरोना के चलते बंद पड़े सिनेमा घरों को एक बूस्ट-अप मिल जाए। साथ ही लोग भी सुरक्षित माहौल में परिवार के साथ संगीत का आनंद उठा सकें।
‘रीमेक बुरा नहीं, बस छेड़छाड़ न हो’
मेरा मानना है कि पुराने हिट गानों को नई जनरेशन से रूबरू कराने के लिए रीमेक करना बुरा नहीं है। हां, गाने की रूह से छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। यह उन लीजेंड्स को ट्रिब्यूट देने का एक तरीका है। ऐसा नहीं है कि अब अच्छा म्यूजिक नहीं बन रहा, लेकिन इस तरह के फ्यूजन का भी अपना एक जॉनर है,जिसे लोग पसंद कर रहे हैं। सिर्फ रीमेक करना ही काफी नहीं है, उस गाने की आत्मा के साथ न्याय करना भी हमारी ही जिम्मेदारी है। हम पुराने गानों को अपने अंदाज में प्रस्तुत कर नयापन लाने की कोशिश करते हैं। अभी प्रशंसकों को सिंगल सॉन्ग ज्यादा पसंद आ रहे हैैं। अवसर मिला तो सोलो एल्बम और फिल्में भी करना चाहूंगी।