आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि घड़ी का समय स्वयं निर्धारित करना न सिर्फ आपके काम को, बल्कि आपके दिल को भी प्रभावित कर सकता है। इसका खुलासा हाल ही में किया गया। दरअसल इस बात का खुलासा भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक ने ही किया है। उनके नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन के अनुसार, घड़ी के समय को आगे या पीछे करने से समय में होने वाले बदलाव के कारण इंसान को दिल के दौरे भी पड सकते हैं।
इस वैज्ञानिक का नाम अमनीत संधू है जो कि यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरेडो इन डेनवर में ह्वदय विशेषज्ञ है। उनका घड़ी के सूई को आगे या पीछे करने को लेकर ये कहना है कि सोमवार की सुबह दिल के दौरों के ज्यादातर मामले सामने आने का एक कारण कारकों का समायोजन भी हो सकता है। हर सप्ताह एक नई शुरूआत होती है। आने वाले सप्ताह में नए काम, नई परियोजनाओं की शुरूआत करने का तनाव हमारे सोने के साथ-साथ हमारे जगने के चक्र में भी बदलाव लाता है।
इन शोधकर्ताओं अपने इस रिसर्च को और पुख्ता करने के लिए ने राज्य की सभी गैर सरकारी अस्पतालों का आंकडा रखने वाली मिशीगन की बीएमसी2 डाटाबेस का प्रयोग करके 1 जनवरी 2010 से लेकर 15 सितंबर 2013 तक दिल का दौरा पडऩे के कारण अस्पताल लाए गए मरीजों का आंकडा निकाला तो इन्होंने पाया कि घडी को फिर से ठीक समय पर करने के बाद दिल का दौरा पडऩे वाले मामलों में 21 फीसदी तक की कमी आई।
तो फिर सोच क्या रहे हैं? अब से घड़ी की सूई को उसकी जगह पर ही रखें और खुद को उसके अनुसार नियंत्रित करें, नहीं तो लेने के देने पड़ सकते हैं।