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अभावों को मात देकर हर साल चैंपियन बन रहीं रेशमा

जिम्नास्टिक के फ्लोर पर रेशमा जब आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक के अलग-अलग स्टेप दिखाती हैं तो उनकी फुर्ती देख हर कोई अवाक् रह जाता है। दीपा कर्माकर की तरह ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतने का जज्बा…

Oct 15, 2021 / 09:53 pm

Deovrat Singh

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जिम्नास्टिक के फ्लोर पर रेशमा जब आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक के अलग-अलग स्टेप दिखाती हैं तो उनकी फुर्ती देख हर कोई अवाक् रह जाता है। दीपा कर्माकर की तरह ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतने का जज्बा लिए रेशमा पिछले पांच साल से कड़ी मेहनत कर रही हैं, ताकि नेशनल में उन्हें पदक मिले तो आगे बढऩे के रास्ते खुल सकें। रेशमा की ललक को देखकर गरीबी ने भी घुटने टेक दिए। बचपन से पौष्टिक आहार की जगह सरकारी राशन नसीब हुआ, लेकिन इसी ने उन्हें शारीरिक मजबूती दी। उन्हें अपने कोच शत्रुघ्न स्वाई की कोचिंग और खुद की मेहनत पर भरोसा है कि एक दिन वह टीम इंडिया का हिस्सा जरूर बनेंगी। रेशमा के पिता ने नशे के कारण परिवार का साथ छोड़ा तो मां ने लोगों के घर काम कर अपने तीन बच्चों को पाला। सबसे छोटी रेशमा का खेल में टैलेंट देखकर कोच ने उन्हें आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। मां की आंखों में भी बेटी के मेडल की चमक दिखती है।

17 साल की उम्र में 20 गोल्ड
महज 17 साल की रेशमा अब तक 5 बार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में दुर्ग जोन का प्रतिनिधित्व कर 20 स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी वह छत्तीसगढ़ से खेल चुकी हैं। वह कहती हैं कि अगर उन्हें बेहतर सुविधा और कोचिंग मिले तो खेल में और भी अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। अभी उन्हें प्रैक्टिस के लिए रोजाना 14 किमी साइकिल चलानी पड़ती है।

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