दमोह

रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा को खतरा बने कारकों को नहीं किया जा सका दूर

प्रतिदिन करीब 8 हजार यात्री अपने गंतव्यों के लिए रवाना होते हैं

दमोहJan 19, 2019 / 07:46 pm

pushpendra tiwari

रेलवे स्टेशन दमोह

दमोह. रेलवे स्टेशन दमोह जहां से प्रतिदिन करीब 8 हजार यात्री अपने गंतव्यों के लिए रवाना होते हैं और अन्य शहरों से दमोह पहुंचते हैं। इन यात्रियों की सुरक्षा खतरे में नजर आ रही है। कहने को तो रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ पुलिस थाना व जीआरपी सहायता केंद्र भी संचालित हैं, लेकिन सुरक्षा के दृष्टिकोण से इसे पर्याप्त नहीं माना जा सकता। दरअसल शाम होते ही रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म एक व दो पर असामाजिक तत्वों का आना जाना बड़ जाता है। प्लेटफार्म पर पहुंच रहे ऐसे व्यक्ति मुख्य गेट का इस्तेमाल न करते हुए प्लेटफार्म तक पहुंचाने वाले अन्य रास्तों से पहुंच जाते हैं। ऐसा इसलिए भी संभव हो पा रहा है क्योंकि प्लेटफार्म पर आने जाने के लिए लोगों को मुख्य गेट से ही निकलना जरुरी नहीं है। प्लेटफार्म नंबर एक पर आरपीएफ थाने के समीप से दूसरा गेट भी है जो चौबीसों घंटे खुला रहता है और लोग इसका इस्तेमाल आने जाने के लिए भरपूर कर रहे हैं।
खासबात यह है कि इस गेट से होकर यात्री तो अपना आना जाना कर ही रहे हैं साथ ही गलत मंशा रखने वाले लोगों के लिए यह रास्ता काफी सुगम साबित हो रहा है।

स्टेशन पहुंच रहे यात्रियों की सुरक्षा को लेकर पत्रिका द्वारा शनिवार की शाम पड़ताल की गई। इस दौरान सोमनाथ एक्सप्रेस व गोंडवाना एक्सपे्रस ट्रेन दमोह पहुंचने वालीं थीं। गाडिय़ों का समय होने की वजह से स्टेशन पर यात्रियों की काफी भीड़ थी। देखा गया कि लोग मुख्य गेट के अलावा आरपीएफ थाने के समीप वाले गेट से भी भरपूर आना जाना कर रहे थे। वहीं मुख्य गेट पर टीसी भी मौजूद नहीं था जो आ जा रहे लोगों की टिकट जांच कर सकता। इस दौरान प्लेटफार्म नंबर एक पर मौजूद व्यक्तियों में शामिल महेंद्र कुमार विश्वकर्मा दमोह, राहुल शर्मा निवासी सिविल वार्ड, विपिन साहू हटा, आशीष जैन हटा सहित कुछ अन्य से प्लेटफार्म टिकट के संबंध में बात की गई तो सामने आया कि इन्होंने प्लेटफार्म टिकट नहीं ली है। खासबात यह है कि जो लोग किसी को छोडऩे अथवा लेने के लिए स्टेशन पहुंचे थे उनमें प्राय: ऐसे लोग थे जिन्होंने प्लेटफार्म टिकट नहीं ली थी। इस पड़ताल से यह स्पष्ट हुआ कि स्टेशन पर मौजूद लोगों से पूछताछ नहीं होने के कारण वह प्लेटफार्म टिकट भी नहीं लेते हैं। इसलिए यह चिंहित करना आरपीएफ व जीआरपी के लिए मुश्किल हो जाता है कि प्लेटफार्म पर मौजूद कौन सा व्यक्ति गलत मंशा के चलते स्टेशन पर आया है।
जीआरपी व आरपीएफ से मिली जानकारी के अनुसार आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे चुके अपराधियों पर उनकी नजर रहती है। बताया गया है कि ऐसे आदतन अपराधी के स्टेशन पर नजर आते ही पुलिस द्वारा उसे पकड़ लिया जाता है, लेकिन ऐसे में पुलिस की नजर से वह अपराधी बचकर निकल जाते हैं जो अन्य शहरों से होते हैं अथवा आदतन अपराधियों में उनकी गिनती शुरु नहीं हुई है।

एक सप्ताह से बंद सीसीटीवी कैमरे


स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा को लेकर एक और लापरवाही का नजारा देखने को मिला है। स्टेशन पर लगे सीसीटीवी कैमरे बंद होना सामने आए। जब इस संबंध में आरपीएफ से बात की तो पता चला कि मामले की पड़ताल करने के कुछ समय पहले ही एक सप्ताह से बंद सीसीटीवी कैमरे चालू हुए हैं। हालांकि कैमरे डिस्पले नहीं होना सामने आए थे। मामले में आरपीएफ थाना प्रभारी अनिल कुमार ने पत्रिका को बताया कि सीसीटीवी कैमरे शनिवार को ही दोबारा शुरु हुए हैं। अनिल कुमार ने जानकारी दी कि स्टेशन पर लगे कैमरे ट्राइल समय सीमा में चल रहे हैं। करीब नौ माह तक इन कैमरे के ट्रायल समय सीमा का लायसेंस था जो करीब एक सप्ताह पहले समाप्त हो गया था। उन्होंने बताया कि कैमरों का संचालन रेल टेल प्रबंधन द्वारा किया जाता है जिसका मुंबई से संचालन होता है।

मामले में यह तथ्य सामने आया कि थाना प्रभारी द्वारा फिलहाल कैमरों का कार्य करना बताया गया है, लेकिन दी गई एक सप्ताह कैमरों के बंद रहने की जानकारी इस बात को सामने लाने के लिए काफी मानी जा सकती है कि कैमरे बंद रहने की समयावधि के दौरान यात्रियों की सुरक्षा पर काम आने वाली तीसरी नजर भी बंद रही।
वर्जन


कैमरे आज ही चालू हुए हैं, स्क्रीन पर प्रदर्शित क्यों नहीं हो रहा है, दिखवाता हूं। यात्रियों की सुरक्षा के लिए पुलिस बल द्वारा अपराधियों पर पैनी नजर रखी जाती है, कार्रवाइयां भी जारी हैं।
अनिल कुमार, आरपीएफ थाना प्रभारी
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