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इन बहादुर बच्चों को सलाम, प्रधानमंत्री खुद वीरता पुरस्कार देकर करेंगे सम्मानित

देश के 18 बच्चों को वीरता पुरस्कार मिल रहा है, जिनमें से तीन को मरणोपरांत यह दिया जा रहा है। २४ जनवरी को नरेंद्र मोदी के हाथों इन्हें मिलेगा सम्मान।

श्री गंगानगरJan 19, 2018 / 04:19 pm

Mazkoor

नई दिल्ली : छोटे हैं तो क्या हुआ, इनकी उपलब्धि किसी भी बड़े व्यक्ति से कम नहीं। इन्होंने वीरता की ऐसी गाथा रची है कि देश को इन 18 बच्चों पर नाज है। इस वजह से इन्हें राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से नवाजा गया है। इनके नामों की घोषणा तो पहले ही हो चुकी थी, आज ये सब एक साथ मीडिया से रू-ब-रू हुए। इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी २४ जनवरी को अपने हाथों से पुरस्कार प्रदान करेंगे। पुरस्कृत होने वाले बच्चों को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने और खुली जीप की सवारी का भी मौका मिलेगा। इस बार कुल 18 बच्चों को यह पुरस्कार दिया जा रहा है। इस सूची में सात लड़कियां व 11 लडक़े हैं। इसमें से तीन बच्चों को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया जाएगा। सम्मानित बच्चों में सबसे छोटी ओडिशा की छह साल आठ महीने की ममता दलाई है, जो अपनी बहन को बचाने के लिए मगरमच्छ से भिड़ गई और उसे भगा कर ही मानी।
पुरस्कार
बहादुर बच्चों को नकद राशि, प्रशस्ति पत्र और मेडल प्रदान किया जाएगा। सभी की पूरी शिक्षा दीक्षा का खर्च भी परिषद द्वारा वहन किया जाएगा। नकद राशि के तहत भारत अवार्ड में 50 हजार रुपये, गीता और संजय चोपड़ा अवार्ड में 40-40 हजार रुपये, बापू गयाधनी अवार्ड में 24 हजार रुपये जबकि अन्य पुरस्कारों में 20-20 हजार रुपये प्रदान किए जाएंगे।
मीडिया से रू-ब-रू हुए बच्चे
भारतीय बाल कल्याण परिषद की अध्यक्षा गीता सिद्धार्थ ने गुरुवार को परिषद कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में इन बच्चों को मीडिया से रूबरू कराया। उन्होंने बताया कि प्रतिष्ठित ‘भारत अवार्ड’ उत्तर प्रदेश के आगरा की १८ साल की लडक़ी नाजिया खान को दिया जाएगा। नाजिया ने दशकों से चल रहे अवैध सट्टे के व्यवसाय के खिलाफ जंग छेड़ा था। इस मुहिम के खिलाफ अभियान चलाने के लिए उसे लगातार धमिकियां मिली, मगर वह झुकी नहीं। उसके प्रयासों की वजह से ही इसे बंद कराया जा सका।
प्रतिष्ठित ‘गीता चोपड़ा अवार्ड’ कर्नाटक की नेत्रवती एम चव्हाण (15) को मरणोपरांत दिया जाएगा। नेत्रवती ने तालाब में डूबते दो बच्चों को बचाने में अपनी जान गंवा दी थी। प्रतिष्ठित ‘संजय चोपड़ा’ अवार्ड पंजाब के अमृतसर के करनबीर सिंह (17) को दिया जा रहा है। करनबीर ने पुल तोडक़र नाले में जा गिरी स्कूली बस में फंसे 15 बच्चों की जान बचाई थी। प्रतिष्ठित ‘बापू गयाधनी अवार्ड’ इस बार तीन बच्चों को दिया जाएगा। इनमें आग की लपटों में घिरे छोटे भाई की जान बचाने वाले मेघालय निवासी 13 वर्षीय बेटश्वाजॉन पेनलांग, मगरमच्छ के चंगुल से अपनी बहन की जान बचाने वाली ओडिशा की सात साल की ममता दलाई और ट्रेन की चपेट में आने से अपने मित्र का जीवन बचाने वाले केरल के 13 वर्षीय सेबस्टियन विंसेट को मिलेगा।
इसके अलावा खुद को यौन शोषण के प्रयास से बचाने के लिए छत्तीसगढ़ के रायपुर की 16 साल की लडक़ी कुमारी लक्ष्मी यादव और तेंदुए के हमले से अपनी मां की जान बचाने वाले उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के १६ साल के पंकज सेमवाल को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
यह पुरस्कार पाने वाले अन्य बहादुर बच्चे नगालैंड निवासी 13 वर्षीय कुमारी मनशा एन), 18 वर्षीय मास्टर एन शेंगपॉन कोनयक, मास्टर योकनेई और चिंगई वांग्सा, गुजरात की 17 साल की समृद्धि सुशील शर्मा, मिजोरम के 16 साल के जानुनतुआंगा, महाराष्ट्र के 17 वर्षीय नदफ इजाज अब्दुल रऊफ, मणिपुर के 14 साल के लोकराकपाम राजेश्वरी चनु, मिजोरम के 18 वर्षीय एफ लछंदामा और ओडिशा के 14 वर्षीय पंकज कुमार महंत हैं।
 

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