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बॉलीवुड के ‘विद्रोही कलाकार’ थे शम्मी कपूर

Published: Oct 20, 2016 11:43:00 pm

घर में फिल्मी माहौल होने पर उनका रुझान भी अभिनय की ओर हो गया और वह भी अभिनेता बनने का ख्वाब देखने लगे

Shammi Kapoor

Shammi Kapoor

मुंबई। बॉलीवुड में शम्मी कपूर ऐसे अभिनेता रहे हैं जिन्होंने उमंग और उत्साह के भाव को बड़े परदे पर बेहद रोमांटिक अंदाज में पेश किया। जीवन की मस्ती को अपने किरदार में जीवंत करने वाले शम्मी कपूर की फिल्मों पर नजर डालने पर पला चलता है कि उन पर फिल्मायें गीतों में गायकी, संगीत संयोजन और गीत के बोलों में मस्ती की भावना पिरोयी रहती थी। बार बार देखो हजार बार देखो और चाहे मुझे कोई जंगली कहे जैसे गीतों से आज भी उनकी बागी छवि की तस्वीर सिनेप्रेमियों के जेहन में उतर आती आती है।

शम्मी कपूर को रिबेल स्टार (विद्रोही कलाकार) की उपाधि इसलिए दी गई क्योंकि उदासी, मायूसी और देवदास नुमा अभिनय की परम्परागत शैली को बिल्कुल नकार करके अपने अभिनय की नई शैली विकसित की। 21 अक्टूबर, 1931 को मुंबई में जन्में शम्मी कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर फिल्म इंडस्ट्री के महान अभिनेता थे। घर में फिल्मी माहौल होने पर उनका रुझान भी अभिनय की ओर हो गया और वह भी अभिनेता बनने का ख्वाब देखने लगे।

वर्ष 1953 में प्रदर्शित फिल्म ‘जीवन ज्योति’ से बतौर अभिनेता उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री का रुख किया। वर्ष 1953 से 1957 तक वह फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। इस दौरान एक के बाद एक उन्हें जो भी भूमिका मिली उसे वह स्वीकार करते चले गए। उन्होने ठोकर, लड़की, खोज, महबूबा, एहसान, चोर बाजार, तांगेवाली, नकाब, मिस कोकोकोला, सिपहसालार, हम सब चोर हैं और मेम साहिब जैसी कई फिल्मों मे अभिनय किया, लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई।

शम्मी कपूर जब फिल्म इंडस्ट्री में आए तो उनका फिगर, आड़ी तिरछी अदाएं और बॉडी लैंग्वज फिल्म छायांकन की दृष्टि से उपयुक्त नही थे लेकिन बाद में यही अंदाज लोगो के बीच आकर्षण का केन्द्र बन गया। उनके लिए संगीतकारों ने फड़कता हुआ संगीत, युवा मन को बैचेन करने वाले बोल और गीतकारों को संगीतकारों के तैयार की गई धुन का बारीकी से अध्ययन करके गीत लिखने पड़े। इसे देखते हुए महान पाश्र्वगायक मोहम्मद रफी ने अपनी मधुर आवाज से जो शैली तैयार की वह उनके लिए सर्वथा उपयुक्त साबित हुई।

वर्ष 1955 में शम्मी कपूर ने फिल्म अभिनेत्री गीताबाली से शादी कर ली। यह शादी जिन परिस्थतियों में हुई वे काफी दिलचस्प हैं। फिल्म इंडस्ट्री में गीताबाली उनसे काफी सीनियर थी। शम्मी कपूर और गीताबाली की जोड़ी फिल्म मिस कोका कोला के दौरान सुर्खियों में आई थी। इसके बाद दोनों ने साथ में केदार शर्मा की फिल्म ‘रंगीन रातेंÓ में भी काम किया। बताया जाता है कि केदार शर्मा की फिल्म रंगीन रातें के निर्माण के दौरान फिल्म अभिनेत्री माला सिन्हा और गीता बाली में शम्मी कपूर को लेकर झगड़ा हो गया था। बाद में केदार शर्मा के समझाने बुझाने पर दुबारा से फिल्म की शूटिंग शुरू हुई।

फिल्म की शूटिंग होने के बाद शम्मी कपूर और गीताबाली जब मुंबई लौटकर आए तो दोनों ने निश्चय किया कि लोग उनके बारे में उल्टी सीधी बात कर रहे हैं। अत: दोनों को शादी कर लेनी चाहिए। चार अगस्त 1955 को शम्मी कपूर ने गीताबाली को फोन किया और कहा, मैं तुम्हें लेने आ रहा हंू। जब शम्मीकपूर गीता बाली को लेने उनके घर पहुंचे तो काफी रात भी हो चुकी थी और बारिश भी हो रही थी। दोनो मंदिर में गए। उस समय रात हो गई थी। दोनों मंदिर में ही रुके रहे। जब सुबह चार बजे पुजारी ने मंदिर में प्रवेश किया तो तभी उनकी शादी हो सकी।

उनके अभिनय का सितारा निर्देशक नासिर हुसैन की वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म ‘तुमसा नहीं देखाÓ से चमका। बेहतरीन गीत, संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की कामयाबी ने शम्मी कपूर को ‘स्टार’ के रूप में स्थापित कर दिया। आज भी इस फिल्म के सदाबहार गीत दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। साठ के दशक में वह शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचे। जब कभी फिल्म निर्माताओं को किसी नई नायिका को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने का मौका देना होता था, वे उसे शम्मी कपूर की नायिका के रूप में अपनी फिल्म में लेते थे।

इन नायिकाओं में सायरा बानो (जंगली ), आशा पारिख (दिल देके देखो), साधना राजकुमार और शर्मिला टैगोर (कश्मीर की कली) शामिल हैं। आज के दौर में इंटरनेट के कई लोग दीवाने हैं। दिलचस्प बात यह है कि शम्मी कपूर फिल्म इंडस्ट्री में ही नहीं, देश में भी इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले कुछ प्रारंभिक लोगों में हैं। अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिलों पर खास पहचान बनाने वाले शम्मी कपूर 14 अगस्त 2011 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।

अपने पांच दशक के सिने कैरियर में लगभग 200 फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्में हैं रंगीन रातें, तुमसा नहीं देखा, मुजरिम, उजाला, दिल देके देखो, जंगली, प्रोफेसर, चाइना टाउन, ब्लफ मास्टर, कश्मीर की कली, राजकुमार, जानवर, तीसरी मंजिल, ऐन इवनिंग इन पेरिस, ब्रह्मचारी, तुमसे अच्छा कौन है, प्रिंस, अंदाज, जमीर, परवरिश, प्रेम रोग, विधाता, देशप्रेमी, हीरो, विधाता आदि।
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