ऐना बताती हैं कि दरअसल वे अपने पुरुष सहकर्मियों और अधिकारियों को यह संदेश देना चाहती थीं कि मिशन पर न जाने से बचने के लिए वे महिलाओं की तरह बहाने नहीं बनाने वाली। तमाम परेशानियों के बावजूद वे भी पुरुष सहकर्मियों की तरह काम कर सकती हैं। महिला होने का बहाना आड़े नहीं आएगा। एना कहती हैं कि मैं दिखाना चाहती थी कि एक मां कितनी शक्तिशाली होती है।
वेबताती हैं कि काम के दौरान उन्हें पुरुष सहकर्मियों और अधिकारियों से कई बार महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण रवैये और संकीर्ण मानसिकता का सामना करना पड़ा। महिलाओं की निजता के बारे में नासा के किसी अधिकारी ने नहीं सोचा। ऐना बताती हैं कि चूंकि ज्यादातर मिशन हमेशा पुरुषों को ध्यान में रखकर तैयार किए जाते थे इसलिए महिलाओं की विशेष जरुरतों को महत्त्व ही नहीं दिया गया। लेकिन हम में से किसी ने भी इसकी शिकायत नहीं की और न ही किसी से कोई मदद मांगीं।
अंतरिक्ष मिशन के लिए चुने गए 35 यात्रियों में कुल छह महिलाएं थीं। इन सभी ने अपने पुरुष सहयोगियों से उन्हें बराबरी का दर्जा देने की आशा की। एना ने पूरे प्रशिक्षण सत्र के दौरान पुरुष सहकर्मियों जैसी ही पोशाक पहनीं। कभी कार्यस्थल पर मेकअप नहीं किया। 14 महीने के प्रशिक्षण सत्र के दौरान उन्होंने मां और अंतरिक्ष यात्री दोनों की भूमिकाओं का बखूबी निर्वाह किया लेकिन काम से समझौता नहीं किया।
मिशन के दौरान वे करीब 7 दिन 23 घंटे अंतरिक्ष में रहीं। लौटने के एक महीने बाद ही उन्हें एक और मिशन की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद उन्होंने बेटी की परवरिश के लिए सात साल की छुट्टी ले ली।1996 में उन्होंने नासा के अंतरिक्ष स्टेशन शाखा प्रमुख के रूप में वापसी की और एजेंसी के इतिहास में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले अंतरिक्ष यात्रियों में से एक बन गई।