स्टडी के लिए 20 हजार लीथियम आयन बैट्रियों को काम में लिया गया। इनको आग पकडऩे जितना तापमान तक गर्म किया गया। इस दौरान बहुत-सी बैट्रियां फट गईं और उनसे कई जहरीली गैसें निकली। इससे यह बात भी स्पष्ट हो गई कि चार्जिंग या अन्य तरीकों से ओवरहीट होने पर बैट्रियां फट सकती हैं और नुकसान पहुंचा सकती हैं। यदि आप कार में या किसी बंद जगह पर हों और कार्बन मोनॉक्साइड बैट्रियों से निकलती रहे तो यह घातक साबित हो सकती है। चाहे उसकी मात्रा कितनी भी कम क्यों न हो।
आजकल दुनिया के कई देशों की सरकारें मोबाइल फोन से लेकर इलेक्ट्रिक से चलने वाली गाडिय़ों में लीथियम बैट्रियों का इस्तेमाल कर रही हैं। कोबाल्ट ऑक्साइड से बनी लीथियम बैट्री में एनर्जी डेन्सिटी ज्यादा होती हंै। आमतौर पर लीथियम बैट्री उपयोग में भी ज्यादा आती है।
प्रमुख शोधकर्ता और इंस्टीट्यूट ऑफ एनबीसी डिफेंस की प्रोफेसर जी सन के ने चेतावनी दी कि आजकल दुनियाभर के कई देशों की सरकारें इलेक्ट्रानिक वाहनों से लेकर मोबाइल उपकरणों के लिए लीथियम-आयन बैट्रियों को बढ़ावा दे रही हैं। इसलिए यह बेहद जरूरी हो जाता है कि आम लोगों को ऊर्जा के इस स्रोत के पीछे के खतरे के प्रति सचेत किया जाए और बताया जाए कि हमें ऊर्जा के सुरक्षित विकल्प ढूंढऩे होंगे। इससे बचाव के लिए लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है।