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ऐसे मटीरियल से बनेंगे रोबोट्स की खुद ठीक हो जाएंगे

locationजयपुरPublished: Sep 24, 2018 06:58:08 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह हीलिंग मशीन फूड इंडस्ट्री और कारखाानों में बढिय़ा काम कर सकती है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह शोध अभी अपने शुरुआती दौर में है। आने वाले दिनों में यह अपने आप में शोध का एक नया द्वार खोल सकती है।

ROBOTS

ऐसे मटीरियल से बनेंगे रोबोट्स की खुद ठीक हो जाएंगे

2025 तक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और रोबोट्स इंसान की आधे से ज्यादा रोजगार छीन लेंगे। यानि आज जिन कामों को करने के लिए इंसानों की भर्ती की जाती है वो या तो हमारे इशारों पर कृत्रिम बुद्धि कर दिया करेगी या फिर कोई रोबोट इसे पूरा करता नजर आएगा। महज सात से दस सालों में इंसानी रोजगार के एक बड़े हिसससे पर मशीनों और तकनीक का कब्जा हो जाएगा। अगर ऐसा होता है तो रोबोट्स के चोटिल होने या खराब होने की संभावनाएं भी ज्यादा होंगी। यही वजह है कि करोड़ों की लागत से बनने वाले रोबोट्स को लंबे समय तक काम चलाऊ बनाए रखने के लिए वैज्ञानिक लगातार प्रयास कर रहे हैं। इन्हीं प्रयासों में से एक है ‘टर्मिनेटर स्किनÓ या ‘सेल्फ हीलिंगÓ तकनीक का। 1980 के दशक में टर्मिनेटर फिल्म की तर्ज पर वैज्ञानिकों का स्वत: ठीक हो जाने वाली मशीनें बनाने का सपना बहुत पुराना है। लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है। वैज्ञानिक अब भी इस अजूबे से बहुत दूर हैं। लेकिन कारनेगी मेलन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों – शोधकर्ताओं का कहना है कि वे सेल्फ हीलिंग मशीन बनाने के बहुत करीब हैं।
स्वत: ठीक हो जाएंगी मशीनें
हाल ही में प्रकाशित ‘नेचर मटीरियल्सÓ विज्ञान पत्रिका में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने लैब में तरल धातु और नरम रबड़ के मिश्रण से एक ऐसा ठोस मेटल बनाया है जो मशीन को पहुंचे बड़े से बड़े नुकसान को भी स्वत: ठीक करने में सक्षम है। कारनेगी मेलन विश्वविद्यालय के इंटीग्रेटेड सॉफ्ट मैटेरियल्स लैबोरेट्री में निदेशक इंजीनियर कारमेल मजीदी का कहना है कि अगर इंसान अपने अनुकूल बेहतर मशीनों का निर्माण करना चाहता है तो नए पदार्थों और मेटल्स का निर्माण करना होगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि सह नया मटीरियल बेहद लचीला और शक्तिशाली है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक सर्किट और सेंसर्स बखूबी काम कर रहे हैं।
कैसे करता है ये काम
मश्ीनों के क्षतिग्रस्त होने पर यह हीलिंग स्किन टूटी हुई जगह के सेल्स के आस-पास के अन्य सेल्स को दोबारा जोडऩे का काम करती है। इस दौरान यह बिना किसी रुकावट के विद्याुत संकेतों को मशीन के हर हिस्से तक पहुंचने देती है। शोधकर्ताओं ने इस नए मटीरियल से एक दीवार घड़ी को जोड़ कर एक नुकीले सामान से उसे नुकसान भी पहुंचाया। लेकिन हीलिंग स्किन के कारण घड़ी का सर्किट टूटा नहीं और ये लगातार अपना काम करती रही। शोधकर्ताओं का कहना है कि उनकी बनाई इस ‘विशेष मशीन त्वचाÓ की एक और खासियत है। यह बिजली का संचालन करने में सक्षम है। साथ ही ये डेटा संचारित करने या मशीन की शक्ति बनाए रखने के लिए भी एक आदर्श खोज है। यह सामग्री इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनों को नरम जैविक उत्तक और जीवों के समान ही लचीलापन प्रदान करता है। इससे पहले बेल्जियम के खोजकर्ताओं ने भी एक ऐसा रोबोटिक हाथ बनाया था जिसमें जैली जैसा पदार्थ भरा हुआ था। किसी भी तरह का नुकसान होने पर यह हाथ खुद ही इसे ठीक करने में सक्षम था। बेल्जियम के वैज्ञानिकों ने बताया कि वे ऐसा इस जैली जैसे पदार्थ को गर्म करने पर ही करते हैं। क्योंकि वे यह पहचानते हैं कि जब भी उन्हें ऊष्मा के संपर्क में लाया जाएगा तो उन्हें फिर से खाली जगह को भरने की प्रक्रिया को शुरू करना है। वो भी बिना कोई कमजोरी छोड़े। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह हीलिंग मशीन फूड इंडस्ट्री और कारखाानों में बढिय़ा काम कर सकती है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह शोध अभी अपने शुरुआती दौर में है। आने वाले दिनों में यह अपने आप में शोध का एक नया द्वार खोल सकती है।

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