फिर मैंने पूछा- तुम यहां कैसे आयीं, वो बोली इश्क ले आया मैडम, मैं अपने घर सुकून से रह रही थी एक लड़का मेरी जिंदगी में आया और अपना बनाने का सपना दिखाया, सिंदूर भरा मांग में और यहां दिल्ली हनीमून मनाने के लिए लाया था।
फिर क्या हुआ? वो तो चला गया मुझे यहां छोड़कर… फिर रुक कर हंसी और बोली देखो मैडम मेरा हनीमून अभी तक चल रहा है, मुझे साल भर पहले पता चला है कि मुझे एड्स हो गया है। एक बेटा है मेरा जो अभी तो स्कूल जाता है पर मेरे बाद क्या होगा कह नहीं सकती कैसे जेएगा, मैंने पूछा तो ग्राहकों को कैसे हैंडल करती हो? क्या वो सुरक्षित सम्बन्ध बनाते हैं तुमसे, क्या उनको बता कर चलती हो बीमारी के बारे में? मेरी ओर देखते हुए वो बोली नहीं मैडम अगर बता दुंगी तो अपना और बच्चे का पेट कैसे पालूंगी, कोठे की मालकिन बाहर निकाल देगी, NGO वाले जो निरोध दे कर जाते हैं, ग्राहकों को दे देती हूं, कुछ इस्तेमाल कर लेते हैं और कुछ गुब्बारा समझ कर गंदी हंसी हंस देते हैं, मैडम मेरे बेटे को अपनी NGO वाली मैडम से कहकर किसी अनाथालय में दाखिल करवा दो, नहीं ये लोग किसी दिन उसे मेरा ही दलाल बना देंगे।
मैडम! बुरा मत मानिएगा आपका भी कोई प्रेमी होगा या पति लेकिन एक सलाह दुंगी किसी पर भरोसा मत करना सब मर्द एक जैसे होते हैं, या हो सकता है आपके साथ ऐसा ना हो पर मैं तो अभागी ही हूं यहां सब मर्द ही आते हैं लेकिन मेरे लिए सब राक्षस हैं। रेड लाइट वही इलाका है जहां रातें हमेशा रंगीन रहती हैं लेकिन जिंदगियां यहां आते ही बेरंग हो जाती हैं हर कोई यहां किसी ना किसी का इंतजार करता है लकिन जो औरतें यहां आने को मजबूर की गईं वो तो बस लाश के समान ही हैं मानों रीता अपनी जीवन में हुए उस धोखे का बदला उन मर्दों से ले रही हो उन्हें एड्स की बीमारी देके।