इन्होंने हजारों बच्चों संग दी दुनिया को चेतावनी
पिट्सबर्ग निवासी 18 वर्षीय लिंड्रा मीरा भी अपने देश में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सरकार को प्रभावी कदम उठाने के लिए स्कूली बच्चों के साथ लगातार आंदोलन कर रही हैं। थुनबर्ग की तरह ही मीरा के शुरुआती कुछ सप्ताह अकेले हड़ताल करते हुए बीते। हर शुक्रवार वे सोशल मीडिया पर आंदोलन के बारे में बताती थीं। हफ्तों बाद हाई स्कूल की छात्रा सारा हार्ट और मेडलिन रेयान उनका साथ देने के लिए आई। मीरा और हार्ट का कहना है कि लोग सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करने की चाह में आ तो जाते हैं लेकिन कुछ घंटो बाद ही हिम्मत जवाब दे जाती है। इसलिए वे अब किसी से इस बारे में बात नहीं करते हैं। लेकिन वे लोगों को सोशल मीडिया के जरिए जलवायु परिवर्तन से होने वाले भयंकर परिणामों के बारे में चेताते जरूर हैं।
उन्होंने कार्बन डिस्क्लोजर प्रोजेक्ट क्लाइमेट अकाउंटेबिलिटी इंस्टीट्यूट के सहयोग से 2017 के एक अध्ययन का हवाला दिया। जिसमें कहा गया था कि विश्व की 100 कंपनियों ने पृथ्वी के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 71 से 80 फीसदी कार्बन का उत्सर्जन किया है। हार्ट, मीरा और रेयान ने भी जलवायु परिवर्तन पर हजारों स्कूली बच्चों और पर्यावरण संरक्षणकर्ताओं की अगुवाई कर ऐसी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और कड़े निसम बनाने के लिए आवाज उठाई है।
पिट्सबर्ग निवासी 18 वर्षीय लिंड्रा मीरा भी अपने देश में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सरकार को प्रभावी कदम उठाने के लिए स्कूली बच्चों के साथ लगातार आंदोलन कर रही हैं। थुनबर्ग की तरह ही मीरा के शुरुआती कुछ सप्ताह अकेले हड़ताल करते हुए बीते। हर शुक्रवार वे सोशल मीडिया पर आंदोलन के बारे में बताती थीं। हफ्तों बाद हाई स्कूल की छात्रा सारा हार्ट और मेडलिन रेयान उनका साथ देने के लिए आई। मीरा और हार्ट का कहना है कि लोग सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करने की चाह में आ तो जाते हैं लेकिन कुछ घंटो बाद ही हिम्मत जवाब दे जाती है। इसलिए वे अब किसी से इस बारे में बात नहीं करते हैं। लेकिन वे लोगों को सोशल मीडिया के जरिए जलवायु परिवर्तन से होने वाले भयंकर परिणामों के बारे में चेताते जरूर हैं।
उन्होंने कार्बन डिस्क्लोजर प्रोजेक्ट क्लाइमेट अकाउंटेबिलिटी इंस्टीट्यूट के सहयोग से 2017 के एक अध्ययन का हवाला दिया। जिसमें कहा गया था कि विश्व की 100 कंपनियों ने पृथ्वी के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 71 से 80 फीसदी कार्बन का उत्सर्जन किया है। हार्ट, मीरा और रेयान ने भी जलवायु परिवर्तन पर हजारों स्कूली बच्चों और पर्यावरण संरक्षणकर्ताओं की अगुवाई कर ऐसी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और कड़े निसम बनाने के लिए आवाज उठाई है।
ऑस्ट्रेलियाई ग्रेटा थुनबर्ग, जो मंत्री से भिड़ गई
ऑस्ट्रेलिया में स्कूली बच्चों की जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हड़ताल की अगुवाई करने वाली 16 वर्षीय किशोरी हैरियट ओश्शि-कार्रे को ऑस्ट्रेलियाई ग्रेटस थुनबर्ग के नाम से जाना जाता है। हैरियट का कहना है कि कक्षा में पढ़ाना अच्छा है लेकिन जब पूरे ग्रह और मानव जाति का जीवन दांव पर लगा हो तो बाहर निकलकर आवाज उठाना ज्यादा जरूरी है। उन्होंने शुक्रवार को 3 लाख से ज्यादा स्कूली छात्रों की अगुवाई की। हैरिटेल ने कहा कि जब तक सरकार जलवायु परिवर्तन पर वास्तविक कार्रवाई नहीं करती तब तक हम सबकुछ छोड़कर इसके खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे। मेलबर्न के कैसलमाईन की कक्षा 9 की छात्रा हैरियट का कहना है कि आप जितने छोटे हैं उतना ज्यादा जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को भुगतेंगे। इसलिए हमें उन बड़ों को सीधे रास्ते पर लाने की जरुरत है जो इससे बच जाएंगे। बच्चे मतदान नहीं कर सकते इसलिए यह एकमात्र तरीका है जिससे हम इसमें बदलाव ला सकते हैं। हैरियट का विरोध लगभग एक साल पहले शुरू हुआ था। उनके साथ उनकी सहपाठी मिलौ अल्ब्रेक्ट और कैलम नीलसन भी इस विरोध में शामिल थे। तीनों ने बीते साल अक्टूबर में ग्रेटा थुनबर्ग से प्रभावित होकर अपने स्कूल के पास ही फुटब्रिज पर स्ट्राइक शुरू कर दी। एक महीने के भीतर ही 10 हजार से ज्यादा लोग उनके समर्थन में स्कूल के पास जमाहोकर विरोध करने लगे। इससे प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि बच्चे स्कूल छोड़कर स्ट्राइक कर रहे हैं जो अच्छी बात नहीं है। इससे प्रदर्शनकारियों में गुस्सा बए़ गया। उन्होंने प्रधानमंत्री मॉरिसन को आड़े हाथों लेते हुए कड़े कदम उठाने और स्कूल को संसद न बनाने के लिए कहा।
ऑस्ट्रेलिया में स्कूली बच्चों की जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हड़ताल की अगुवाई करने वाली 16 वर्षीय किशोरी हैरियट ओश्शि-कार्रे को ऑस्ट्रेलियाई ग्रेटस थुनबर्ग के नाम से जाना जाता है। हैरियट का कहना है कि कक्षा में पढ़ाना अच्छा है लेकिन जब पूरे ग्रह और मानव जाति का जीवन दांव पर लगा हो तो बाहर निकलकर आवाज उठाना ज्यादा जरूरी है। उन्होंने शुक्रवार को 3 लाख से ज्यादा स्कूली छात्रों की अगुवाई की। हैरिटेल ने कहा कि जब तक सरकार जलवायु परिवर्तन पर वास्तविक कार्रवाई नहीं करती तब तक हम सबकुछ छोड़कर इसके खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे। मेलबर्न के कैसलमाईन की कक्षा 9 की छात्रा हैरियट का कहना है कि आप जितने छोटे हैं उतना ज्यादा जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को भुगतेंगे। इसलिए हमें उन बड़ों को सीधे रास्ते पर लाने की जरुरत है जो इससे बच जाएंगे। बच्चे मतदान नहीं कर सकते इसलिए यह एकमात्र तरीका है जिससे हम इसमें बदलाव ला सकते हैं। हैरियट का विरोध लगभग एक साल पहले शुरू हुआ था। उनके साथ उनकी सहपाठी मिलौ अल्ब्रेक्ट और कैलम नीलसन भी इस विरोध में शामिल थे। तीनों ने बीते साल अक्टूबर में ग्रेटा थुनबर्ग से प्रभावित होकर अपने स्कूल के पास ही फुटब्रिज पर स्ट्राइक शुरू कर दी। एक महीने के भीतर ही 10 हजार से ज्यादा लोग उनके समर्थन में स्कूल के पास जमाहोकर विरोध करने लगे। इससे प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि बच्चे स्कूल छोड़कर स्ट्राइक कर रहे हैं जो अच्छी बात नहीं है। इससे प्रदर्शनकारियों में गुस्सा बए़ गया। उन्होंने प्रधानमंत्री मॉरिसन को आड़े हाथों लेते हुए कड़े कदम उठाने और स्कूल को संसद न बनाने के लिए कहा।