बाड़मेर . जैसलमेर में चल रहा मरु महोत्सव देसी व विदेशी लोगों के आकर्षण के साथ ही स्थानीय कला, संस्कृति और पर्यटन का आधार बन रहा है। जालोर भी अब सालाना उत्सव मनाकर पर्यटकों को आकर्षित करने के साथ ही जिले की कला- संस्कृति को मंच दे रहा है लेकिन विडंबना है कि बाड़मेर प्रशासन इसको लेकर चुप्पी साधे हुए है। थार महोत्सव को एक दशक पहले बंद कर दिया जिसे अब पुन: प्रारंभ करने का विचार ही नहीं हो रहा है।
जिले में शीतला सप्तमी के आस-पास तीन दिन तक थार महोत्सव का आयोजन किया जाता था। इन तीन दिनों में बाड़मेर जिला मुख्यालय पर शोभायात्रा व सुबह की प्रतियोगिताएं, किराडू में भक्ति संध्या, महाबार में आकर्षक सांस्कृतिक संध्या, चौहटन में सांस्कृतिक कार्यक्रम, बालोतरा में सांस्कृति संध्या व शोभायात्रा का आयोजन किया जाता था। यह जिलेभर के कला व संस्कृति से जुड़े लोगों को मंच प्रदान करता था।
&जरूरी है : थार महोत्सव हो तो यहां के कलाकारों को मंच मिले। हम हर जगह पहुंचकर अपनी कला- संस्कृति की पहचान करवाते हैं लेकिन अब घर में कार्यक्रम नहीं हो रहा है। – अनवरखां, बहिया अंतरराष्ट्रीय लोक कलाकार
क्यों किया बंद
प्रशासन की ओर से यह तर्क रखा गया कि यहां पर्यटकों का आना मुश्किल है और दूसरा पर्यटन विभाग इसके लिए मदद नहीं कर रहा,जबकि वास्तविकता यह है कि खनिज संपदा के बाद यहां रुपया आने लगा तो बाहर से लोग भी बड़ी संख्या में आए हैं। अब सोशल मीडिया और इंटरनेट के जरिए इतना प्रचार-प्रसार होने लगा है कि कला और संस्कृति का यह मेला परवान चढ़ सकता है।
जनप्रतिनिधियों की नहीं रुचि
बाड़मेर के विधायक लगातार तीसरी बार जीते हैं,उनकी ओर से ठोस पैरवी नहीं की जा रही। सांसद और अन्य जनप्रतिनिधि भी इस बात को लेकर विशेष ध्यान नहीं दे रहे हैं। एेसे में थार महोत्सव को लेकर अधिकारियों की रुचि भी नहीं है।
पर्यटन की असीम संभावनाएं
जिले में किराडू व जूना के मंदिर, नाकोड़ा का धार्मिक पर्यटन, बॉर्डर टूरिज्म, पेट्रो टूरिज्म, रेडाणा का रण क्षेत्र सहित पर्यटन के कई स्थान हैं। यहां की कला-संस्कृति इतनी सुदृढ़ है कि इसको सामने लाया जा सकता है।
&व्यवस्थित हो आयोजन : यह आयोजन व्यवस्थित हो तो क्यों नहीं आकर्षित करेगा। इसको लेकर प्रशासन पूर्ण तैयारी करे और जैसलमरे की तरह यहां पर भी तीन दिवसीय आयोजन हो।
– डॉ. बी डी तातेड़, साहित्यकार
&जोड़ें हैरिटेज से : थार महोत्सव के आयोजन को पर्यटन के साथ ही हैरिटेज के हिसाब से भी देखना चाहिए। जरूरी नहीं है कि विदेशी पर्यटक ही आएं, अब तो देशी पर्यटक भी आते है। जैसलमेर से जोड़ते हुए इस मेले को आयोजित करें।- यशोवद्र्धन शर्मा, संयोजक इंटेक चेप्टर
&टेक्नॉलोजी का जमाना : अब टेक्नोलॉजी का जमाना है। विभिन्न माध्यमों से प्रचार-प्रसार संभव है। जानकारी बढ़ेगी तो पर्यटक आएंगे। तेल-गैस के बाद सारा नक्शा बदला है तो अब थार महोत्सव के लिए तीन दिन दिए जाने चाहिएं। – फकीराखां, अंतरराष्ट्रीय कलाकार
जैसलमेर ञ्च पत्रिका . विश्व विख्यात मरु महोत्सव 2019 के कार्यक्रमों की कड़ी में दूसरे दिन सोमवार को स्वर्णनगरी के पास स्थित डेडानसर मैदान में सीमा सुरक्षा बल के जवानों की प्रस्तुतियों ने देसी-विदेशी सैलानियों को रोमांचित कर दिया।
बल के ऊंटों के हैरत अंगेज कारनामे देख दर्शक अचरज करते रहे। वहीं ऊंट-शृंगार, शान-ए-मरुधरा, पणिहारी दौड़, कबड्डी, रस्साकशी, कैमल पोलो, महिला एवं पुरूष दंगल जैसी प्रतियोगिताएं देसी-विदेशी मेहमानों के लिए आकर्षण रहीं। पणिहारी मटका रेस प्रतियोगिता में 23 महिलाओं ने भाग लिया, जिसमें 12 विदेशी थीं। मरु महोत्सव के पुरूष व महिला दंगल (कुश्ती) का आयोजन हुआ। इस बार भी प्राचीन एवं परंपरागत खेल कबड्डी प्र्रतियोगिता हुई।
डेडानसर मैदान में आयोजित भारतीय एवं विदेशी पुरुषों तथा महिलाओं की रस्साकस्सी प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने उत्साह से भाग लिया। मरु महोत्सव में ऊंट शृंगार प्रतियोगिता भी आकर्षण का केन्द्र रही। कैमल पोलो एसोसिएशन ऑफ इंडिया और रॉयल डेजर्ट सफारी की टीम के बीच मैच हुआ। सीमा सुरक्षा बल की ओर से प्रस्तुत ऊंटों के हैरत अंगेज करतबों वाले ‘कैमल टैटू शोÓ ने दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया।
जिले में शीतला सप्तमी के आस-पास तीन दिन तक थार महोत्सव का आयोजन किया जाता था। इन तीन दिनों में बाड़मेर जिला मुख्यालय पर शोभायात्रा व सुबह की प्रतियोगिताएं, किराडू में भक्ति संध्या, महाबार में आकर्षक सांस्कृतिक संध्या, चौहटन में सांस्कृतिक कार्यक्रम, बालोतरा में सांस्कृति संध्या व शोभायात्रा का आयोजन किया जाता था। यह जिलेभर के कला व संस्कृति से जुड़े लोगों को मंच प्रदान करता था।
&जरूरी है : थार महोत्सव हो तो यहां के कलाकारों को मंच मिले। हम हर जगह पहुंचकर अपनी कला- संस्कृति की पहचान करवाते हैं लेकिन अब घर में कार्यक्रम नहीं हो रहा है। – अनवरखां, बहिया अंतरराष्ट्रीय लोक कलाकार
क्यों किया बंद
प्रशासन की ओर से यह तर्क रखा गया कि यहां पर्यटकों का आना मुश्किल है और दूसरा पर्यटन विभाग इसके लिए मदद नहीं कर रहा,जबकि वास्तविकता यह है कि खनिज संपदा के बाद यहां रुपया आने लगा तो बाहर से लोग भी बड़ी संख्या में आए हैं। अब सोशल मीडिया और इंटरनेट के जरिए इतना प्रचार-प्रसार होने लगा है कि कला और संस्कृति का यह मेला परवान चढ़ सकता है।
जनप्रतिनिधियों की नहीं रुचि
बाड़मेर के विधायक लगातार तीसरी बार जीते हैं,उनकी ओर से ठोस पैरवी नहीं की जा रही। सांसद और अन्य जनप्रतिनिधि भी इस बात को लेकर विशेष ध्यान नहीं दे रहे हैं। एेसे में थार महोत्सव को लेकर अधिकारियों की रुचि भी नहीं है।
पर्यटन की असीम संभावनाएं
जिले में किराडू व जूना के मंदिर, नाकोड़ा का धार्मिक पर्यटन, बॉर्डर टूरिज्म, पेट्रो टूरिज्म, रेडाणा का रण क्षेत्र सहित पर्यटन के कई स्थान हैं। यहां की कला-संस्कृति इतनी सुदृढ़ है कि इसको सामने लाया जा सकता है।
&व्यवस्थित हो आयोजन : यह आयोजन व्यवस्थित हो तो क्यों नहीं आकर्षित करेगा। इसको लेकर प्रशासन पूर्ण तैयारी करे और जैसलमरे की तरह यहां पर भी तीन दिवसीय आयोजन हो।
– डॉ. बी डी तातेड़, साहित्यकार
&जोड़ें हैरिटेज से : थार महोत्सव के आयोजन को पर्यटन के साथ ही हैरिटेज के हिसाब से भी देखना चाहिए। जरूरी नहीं है कि विदेशी पर्यटक ही आएं, अब तो देशी पर्यटक भी आते है। जैसलमेर से जोड़ते हुए इस मेले को आयोजित करें।- यशोवद्र्धन शर्मा, संयोजक इंटेक चेप्टर
&टेक्नॉलोजी का जमाना : अब टेक्नोलॉजी का जमाना है। विभिन्न माध्यमों से प्रचार-प्रसार संभव है। जानकारी बढ़ेगी तो पर्यटक आएंगे। तेल-गैस के बाद सारा नक्शा बदला है तो अब थार महोत्सव के लिए तीन दिन दिए जाने चाहिएं। – फकीराखां, अंतरराष्ट्रीय कलाकार
जैसलमेर ञ्च पत्रिका . विश्व विख्यात मरु महोत्सव 2019 के कार्यक्रमों की कड़ी में दूसरे दिन सोमवार को स्वर्णनगरी के पास स्थित डेडानसर मैदान में सीमा सुरक्षा बल के जवानों की प्रस्तुतियों ने देसी-विदेशी सैलानियों को रोमांचित कर दिया।
बल के ऊंटों के हैरत अंगेज कारनामे देख दर्शक अचरज करते रहे। वहीं ऊंट-शृंगार, शान-ए-मरुधरा, पणिहारी दौड़, कबड्डी, रस्साकशी, कैमल पोलो, महिला एवं पुरूष दंगल जैसी प्रतियोगिताएं देसी-विदेशी मेहमानों के लिए आकर्षण रहीं। पणिहारी मटका रेस प्रतियोगिता में 23 महिलाओं ने भाग लिया, जिसमें 12 विदेशी थीं। मरु महोत्सव के पुरूष व महिला दंगल (कुश्ती) का आयोजन हुआ। इस बार भी प्राचीन एवं परंपरागत खेल कबड्डी प्र्रतियोगिता हुई।
डेडानसर मैदान में आयोजित भारतीय एवं विदेशी पुरुषों तथा महिलाओं की रस्साकस्सी प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने उत्साह से भाग लिया। मरु महोत्सव में ऊंट शृंगार प्रतियोगिता भी आकर्षण का केन्द्र रही। कैमल पोलो एसोसिएशन ऑफ इंडिया और रॉयल डेजर्ट सफारी की टीम के बीच मैच हुआ। सीमा सुरक्षा बल की ओर से प्रस्तुत ऊंटों के हैरत अंगेज करतबों वाले ‘कैमल टैटू शोÓ ने दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया।