
शहडोल. मां से बिछडऩे के बाद तीन दिन से चंदिया व कटनी के सीमावर्ती क्षेत्र में भटक रहे हाथी शावक का बुधवार की सुबह विशेषज्ञों की निगरानी में रेस्क्यू किया गया। हाथी शावक को बांधवगढ़ में चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है। इस दौरान उसके स्वास्थ्य के साथ ही खान पान का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। बांधवगढ़ नेशनल पार्क के सलखनिया बीट में 10 हाथियों की मौत के बाद हर गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। इस बीच एक हाथी ने चंदिया क्षेत्र में दो लोगों को मौत के घाट उतार दिया था व एक युवक को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। इस घटना के बाद ग्रामीण दहशत में है। इस घटना के बाद से ही नन्हा हाथी शावक चंदिया क्षेत्र में देखा जा रहा था। हाथी शावक के ग्रामीण अंचलों में मूवमेंट से जहां इसको खतरा बना हुआ था, वहीं लोगों को भी इससे भय बना हुआ था। इसे गंभीरता से लेते हुए बांधवगढ़ पार्क प्रबंधन ने इसके रेस्क्यू की कार्ययोजना बनाई थी। मंगलवार को यह हाथी शावक चंदिया से होते हुए महानदी पार कर कटनी वनमंडल में पहुंच गया था। इस दौरान बांधवगढ़ व कटनी वनमंडल की टीम इसकी लगातार निगरानी कर रही थी। बीती रात्रि हाथी शावक कोइलारी गांव में ट्रेस होने के बाद पूरी रात इस पर नजर रखी गई। हाथी शावक के रेस्क्यू के लिए 2 हाथी कान्हा से बुलाए गए व दो बांधवगढ़ नेशनल पार्क के हाथियों की मदद से सुबह हाथी का सफल रेस्क्यू कर सुरक्षित बांधवगढ़ लाया गया है।
झुंड में से बचे थे तीन हाथी
बांधवगढ़ नेशनल पार्क के सलखनिया बीट में 13 हाथियों के झुंड में से 10 हाथियों की मौत हो चुकी है। इनमें से बचे हुए तीन हाथियों में से एक का रेस्क्यू दो दिन पूर्व बांधवगढ़ की टीम ने किया था और उसे खितौली में रखा गया है। दो हाथियों को चंदिया क्षेत्र में देखा गया था। इनमें से एक शावक यही बताया जा रहा जिसका बुधवार को रेस्क्यू किया गया है। हालांकि अभी पार्क प्रबंधन भी यह पुष्टि नहीं कर पा रहा है कि यह उसी झुंड का बचा हुआ हाथी शावक है और मां की मौत के बाद भटक रहा है। फिलहाल पार्क प्रबंधन हाथी शावक की विधिवत निगरानी में जुटा हुआ है।
घबराया हुआ है, कुछ खा भी नहीं रहा
कोइलारी से रेस्क्यू कर बांधवगढ़ लाया गया हाथी शावक काफी घबराया हुआ है। मां से बिछडने के बाद कुछ खा पी भी नहीं रहा है। जानकारों का कहना है कि अभी उसकी जो उम्र है उस उम्र में हाथी शावक सिर्फ मां का दूध ही पीते हैं। ऐसे में मां से बिछडऩे के बाद वह उसकी तलाश में इधर-उधर भटक रहा था। बांधवगढ़ कैम्प में लाने के बाद उसे केले दिए गए उसे भी उसने नहीं खाया। इसके बाद उसे लेक्टोजन-2 का घोल बॉटल की मदद से पिलाया जा रहा है। साथ ही अन्य हाथियों व उनके शावकों के बीच में आने से उसके स्वभाव में कुछ बदलाव देखने मिला है।
Published on:
07 Nov 2024 12:07 pm
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