scriptचिकित्सा पेशे के कलंक को मिटाने की जरूरत | The need to remove the stigma of the medical profession | Patrika News

चिकित्सा पेशे के कलंक को मिटाने की जरूरत

locationशाहडोलPublished: Oct 04, 2021 11:52:57 pm

Submitted by:

shubham singh

मृत महिला को जिंदा बताकर वेंटीलेटर पर रखने को ढोंग करना और मोटी रकम वसूलना अत्याचार व क्रूर धोखाधड़ी है

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शुभम बघेल
चिकित्सा जैसे पवित्र पेशे को कुछ लोग किस तरह बदनाम कर रहे हैं, इसका एक जीता जागता उदाहरण आदिवासी इलाके शहडोल के देवांता अस्पताल में देखने में आया है। बिलकुल ‘गब्बर इज बैक फिल्म की तरह। अमानवीयता की सारी हदें पार करने वाला। एक महिला मरीज की मौत होने के बाद भी उसके परिजन से पैसे बटोरने का लालच पूरा करने की पराकाष्ठा दर्शाने वाला। अस्पताल प्रबंधन ने परिजन को महिला की मौत की जानकारी नहीं दी। उसे जिंदा बताकर वेंटीलेटर पर रखने की सूचना दी और इसके बिल का मीटर चलाते रहे। बाद में महिला को जिंदा बताते हुए ही रेफर कर दिया। सरकारी अस्पताल में पहुंचने पर पता लगा कि जिसे जिंदा बताकर उनके यहां लाया गया है, उसकी मृत्यु तो कई घंटे पहले ही हो चुकी है। किसी भी इंसान या परिवार के साथ इस तरह की घटना गंभीर और अमानवीय कही जाएगी। ऐसे परिवार के साथ तो यह घोर भत्र्सनायोग्य होगी जो अपने घर के सदस्य की जान बचने की आस में अपनी आजीविका के साधन खड़ी फसल को बेचने को विवश हो जाए। इस मामले में महिला के परिजन को ऐसा ही करना पड़ा। यह हद दर्जे का अत्याचार और क्रूर धोखाधड़ी है, जो इस परिवार को झेलनेे पड़े। यह किस्सा सामने आया, इसलिए इस परिवार का जिक्र कर रहे हैं। न जाने कितने ऐसे परिवार होंगे, जो इस अस्पताल की कारस्तानी का शिकार हो गए होंगे। जिला प्रशासन को इस अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इस तथ्य का ध्यान जरूर रखना चाहिए। अभी इसे सील करने की जो कार्रवाई की गई है, वह नाकाफी है। ऐसा अस्पताल हमेशा के लिए बंद करने की कार्रवाई होनी चाहिए। इस पूरी घटना में लिप्त चिकित्सक व स्टाफ को हमेशा के लिए पेशे से निष्कासित कर देना चाहिए। अभी जो मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई की गई है, वह भी जारी रहनी चाहिए और इसे तब तक छोडऩा नहीं चाहिए, जब तक कि दोषी चिकित्सकों को सजा नहीं मिल जाती। शहडोल अकेला शहर नहीं है, जहां ऐसी घटना हुई है। अन्य शहरों में भी इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं। पूरा चिकित्सक वर्ग इस प्रकृत्ति व प्रवृत्ति का नहीं है, लेकिन कुछ जरूर हैं, जो चिकित्सक पेशे के लिए जरूरी दया धर्म से किनारा कर सिर्फ पैसे बनाने में लगे हुए हैं। शहडोल के प्रकरण में ठोस कार्रवाई होगी, तो ऐसे चिकित्सकों को कुछ सबक मिलेगा।

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