जो दान देता है वही है देवता
चेन्नईPublished: Oct 31, 2018 11:51:28 am
आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा सूर्य प्रकाश बांट रहा है, चंद्रमा शीतलता बिखेर रहा है, नदी जल का दान कर रही है, फूल सुगंध बांट रहा है, बादल पानी बांट रहे हैं और हवा जीवन दे रही है।
जो दान देता है वही है देवता
चेन्नई. कोंडीतोप स्थित सुंदेशा मूथा भवन में विराजित आचार्य पुष्पदंत सागर ने कहा सूर्य प्रकाश बांट रहा है, चंद्रमा शीतलता बिखेर रहा है, नदी जल का दान कर रही है, फूल सुगंध बांट रहा है, बादल पानी बांट रहे हैं और हवा जीवन दे रही है। दीया अंधकार पीकर रोशनी दे रहा है। तुम भी मिलकर रहो और मिल बांटकर खाओ। जो बचाकर खा रहा है वह राक्षस है और जो देता है वही देवता व बड़भागी है। जो भी तुम्हारे पास हो उसे अनाथों में बांट दो। पैसा है तो पैसा बांटो, पैसा नहीं है तो प्रेम बांटो। सेवा भावी बनो, परोपकारी बनो। पिता का वचन पूरा करने राम वन में गए। राम की मर्यादा जगत के लिए वरदान व सीता का शील नारियों के लिए प्रेरणा बनी। लक्ष्मण का भातृ प्रेम, प्रेम की प्रेरणा और हनुमान की भक्ति मैत्री का उदाहरण बनी। विभीषण धर्म, ईमान, सद्नीति और सद्व्यवहार का इतिहास बना। तुम भी दूसरों के लिए प्रेरणा बनो। सुख को बांटो और दर्द को जियो। धन्यता बांटने में है। प्रकृति सबको बांट रही है। फूल की धन्यता खिलने में है, दीये की अंधकार पीने में है। मनुष्य की धन्यता परोपकार में है। मधुर व्यवहार करो, मधुर बोलो। सबको अपना समझो, दूसरों के हमदर्द बनो, खुदगर्ज कभी मत बनो। अगर दूसरों के नहीं बन सकते तो अपने परिवार के बनो। दूसरों की सेवा नहीं कर सकते तो कम से कम अपने परिवार की सेवा तो करो। अपने संबंधों को मधुर रखो। अपने रिश्तों को रिचार्ज करो।