युवक को लगा ऐसा रोग...इलाज सरकार के पास
दुर्लभ पोम्पे रोग यानि ग्लाइकोजन स्टोरेज डिसऑर्डर -2 का दूसरा रोगी सामने आया है। दोनों सगे भाईयों में हुए इस रोग ने एक परिवार की जिंदगी उजाड़ दी है। पहला भाई दस माह पूर्व रोग की पहचान से पहले ही दुनियां छोड़ गया और अब दूसरा जिंदगी की जंग लड़ रहा है। महंगे उपचार ने इसकी जिंदगी को अब सरकार के भरोसे कर दिया है।सरकार तक सुनवाई के जितने जरिए है उनको परिवार ने अर्जी दे दी है। एक बेटे को खो चुके परिवार के लिए दूसरे जवान बेटे की जिंदगी को लेकर एक-एक दिन क्या पल भारी पड़ रहा है।

रतन दवे
बाड़मेर पत्रिका.
दुर्लभ पोम्पे रोग यानि ग्लाइकोजन स्टोरेज डिसऑर्डर -2 का दूसरा रोगी सामने आया है। दोनों सगे भाईयों में हुए इस रोग ने एक परिवार की जिंदगी उजाड़ दी है। पहला भाई दस माह पूर्व रोग की पहचान से पहले ही दुनियां छोड़ गया और अब दूसरा जिंदगी की जंग लड़ रहा है। महंगे उपचार ने इसकी जिंदगी को अब सरकार के भरोसे कर दिया है।सरकार तक सुनवाई के जितने जरिए है उनको परिवार ने अर्जी दे दी है। एक बेटे को खो चुके परिवार के लिए दूसरे जवान बेटे की जिंदगी को लेकर एक-एक दिन क्या पल भारी पड़ रहा है।
शहर के तनसिंह सर्किल के पास रहने वाले चंपालाल जसमतिया के दो बेटे दिग्विजय और ललित। गौरे चिट्टे,हट्टे-कट्टे,फुर्तीले, तेज तर्रार। बड़ा बेटा दिग्विजय एक निजी कंपनी में कार्य कर रहा था और छोटा होनहार पढ़ाई। पिता चंपालाल भी यहां तेल उद्योग से जुड़ी कंपनी में है। अचानक बड़े बेटे की मांसपेशियों में खिंचाव हुआ और फिर ऑक्सीजन लेवल कम होने लगा। बाड़मेर,जोधपुर,जयपुर, अहमदाबाद और जहां संभव हुआ जांच करवाते रहे लेकिन उपचार के दौरान ही 22 साल की उम्र में 19 दिसंबर 2019 को मृत्यु हो गई। परिजन इस सदमे से उबरे ही नहीं कि दो तीन माह बाद दूसरे बेटे ललित के भी यही लक्षण दिखे तो उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। रोग क्या है,इसका पता लगवाने के लिए बैंगलौर तक गए तो पता चला इसको ग्लाइकोजन स्टोरेज डिसऑर्डर-2 यानि पोम्पे रोग है। यह रोग करोड़ों में एक को होता है।
महंगा उपचार जमीन खिसक गई
पोम्पे रोग में शरी की कोशिकाओं में ग्लाइकोजन नामक कॉम्पलैक्स शुगर एकत्रित होती है। शरीर इस प्रोटीन का निर्माण नहीं कर पाता। इसका एकमात्र विकल्प एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी है। इसमें 26 इंजेक्शन साल के लगते है जिनकी कीमत करीब 2.75 करोड़ रुपए है। यह सुनते ही परिजनों की जमीन खिसक गई, इतना महंगा उपचार उनके वश में नहीं होने से वे अब घर आ गए है।
सरकार से ही आस
जयपुर में अनुकंपा उपयोग कार्यकम के माध्यम से जेकेलोन अस्पताल में उत्तरप्रदेश से लाए एक बच्चे का नि:शुल्क उपचार शुरू होने के बाद इस परिवार की आस जगी कि राज्य सरकार चाहे तो उनके बेटे को बचा सकती है। इसके लिए विधायक, सांसद और मंत्री को परिजनों ने पत्र भेजकर जानकारी तो दे दी है । इस परिवार के लिए एक-एक पल अब भारी पड़ रहा है। नाना हंसराज सोनी कहते है कि सरकार चाहे तो मेरे नवासे की ङ्क्षजदगी एक पल में बचा सकती है...न तो हमारे पास समय है, न उपचार को इतना रुपया, बस सरकार से उम्मीद ही बची है।
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