गांव में बुजुर्गों की सेवा परेशानी
बुजुर्गों की सेवा करने वाली संस्था की संस्थापककर्नल अचल श्रीधरन का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बुजुर्गों की देखभाल सबसे बड़ी समस्या है। ऐसे 70 फीसदी बुजुर्गों के बच्चे रोजगार और अच्छी सुविधाओं की तलाश में गांव से शहरों में जा बसे हैं। लेकिन बुजुर्गों के लिए चलाई जा रही विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ इन तक नहीं पहुंच पा रहा है। इस संबंध में विकसित देशों में प्रचलित मॉडल्स को देश में लागू किया जाना चाहिए। क्योंकि स्वस्थ रहने के लिए अच्छी प्रथाओं के मॉडल विकसित करने की बहुत आवश्यकता है। साथ ही बुजुर्गों में निरंतर जुड़ाव भी ताकि वे अपने घरों में उन सुविधाओं के साथ रह सकें जो उन्हें सक्रिय रखने में मदद करे।
2050 तक तिगुनी होगी बुजुर्गों की आबादी
देश भले ही युवाओं का हो लेकिन इसमें 60 साल से ज्यादा उम्र वाले बुजुर्गों की आबादी भी तेजी से बढ़ रही है। इन चुनौतियों के लिए अभी से तैयारी करना आवश्यक है। संयुक्त राष्ट्र भारत को ‘बूढ़े होते देश’ के रूप में वर्गीकृत करता है जिसमें कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत 60 या इससे ज्यादा उम्र के बुजुर्ग हैं। इतना ही नहीं यह आबादी साल 2050 तक तीन गुना होने की उम्मीद है जो तब कुल आबादी का 20 फीसदी हिस्सा होगा।
बेहतर देखभाल हो ऐसा माहौल बनाने की ज़रूरत
ऐसे समय में जब देश में बड़े पैमाने पर बुजुर्गों की देखभाल की उपेक्षा की जा रही है तो केवल सुविधाएं देने और वृद्धाश्रम बनाना ही समाधान नहीं है। क्योंकि उपेक्षित बुजुर्गों की आबादी का एक बड़ा हिस्सा तो आज भी घर में ही रहता है। इसलिए जरूरी है कि ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जाए जहां बुजुर्ग अपने घर में ही रहते हुए देखभाल की सुविधाओं का लाभ उठा सकें। यह समय की जरूरत है। विशेषज्ञ मानते हैं कि बुजुर्गों के रहन-सहन के हिसाब से वृद्धाश्रम और कम्यूनिटी सेंटर विकसित करने की जरुरत है जहां वे स्वतंत्र जीवनयापन कर सकें, उन्हें कुशल नर्सिंग सुविधाएं मिलें, साथ ही निरंतर देखभाल भी हो। इसके अलावा सेवानिवृत्ति समुदाय, अल्जाइमर और डिमेंशिया पीडि़तों के लिए विशेष सुविधाएं और दिव्यांग या विशेषयोग्यजनों की सुविधाओं का भी पूरा खयाल रखा जाए।
होमकेयर सुविधाएं बढ़ानी होंगी
हाल ही टाटा ट्रस्ट की ओर से देश में वृद्धावस्था सुविधाओं पर किए गए सर्वे में सामने आया कि बुजुर्गों के लिए संचालित वृद्धाश्रम और होमकेयर सुविधा केन्द्र निजी संगठनों और चैरिटी ट्रस्ट चला रहे हैं। ऐसे में वे भी बुजुर्गों की आंशिक जरुरतों को ही पूरा कर पाते हैं। जबकि सर्वे के मुताबिक आने वाले 10 सालों में देश के अंदर ऐसे होमकेयर और वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों की संख्या लगभग 8 से 10 लाख हो जाएगी। यह मौजूदा आंकड़ों से आठ से दस गुना वृद्धि है। क्या हम इस चुनौती के लिए तैयार हैं? इसलिए बड़े पैमाने पर बुजुर्गों के लिए सेवानिवृत्ति सामुदायिक केन्द्र और वृद्धाश्रम में बुजुर्गों के रहने की समुचित व्यवस्था करनी होगी। ऐसे समय में जब 98 प्रतिशत बुजुर्ग रिटारमेंट कम्यूनिटी में न रहते हों यह करना हमारे लिए जरुरत भी है। दुर्भाग्य से हमारे पास प्रशिक्षित देखभाल करने वाले नहीं हैं जो हैं वे भी पार्टटाइम के तौर पर यह करते हैं।