यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल
सिमसेक ने कहा कि इस प्राचीन शहर में उनकी टीम अब भी उत्तर में पवित्र आगोरा (मंदिर) का पता लगाने के लिए खुदाई कर रही हैं। सिमसेक ने बताया कि टीम फिलहाल लाइकोस घाटी और उसके आसपास तक कुछ प्राचीन वास्तुकलाओं को खोजने में कामयाब रही है। शहर की नगरीय वास्तुकला से संबंधित ये बस्तियां घाटी में उजागर अब तक की सबसे प्राचीन पुरातात्विक खोज हैं। गौरतलब है कि लाओडाइकिया को साल 2013 में यूनेस्को ने अपनी विश्व सांस्कृतिक विरासत की अस्थायी सूची में शामिल किया है।
सिमसेक ने कहा कि इस प्राचीन शहर में उनकी टीम अब भी उत्तर में पवित्र आगोरा (मंदिर) का पता लगाने के लिए खुदाई कर रही हैं। सिमसेक ने बताया कि टीम फिलहाल लाइकोस घाटी और उसके आसपास तक कुछ प्राचीन वास्तुकलाओं को खोजने में कामयाब रही है। शहर की नगरीय वास्तुकला से संबंधित ये बस्तियां घाटी में उजागर अब तक की सबसे प्राचीन पुरातात्विक खोज हैं। गौरतलब है कि लाओडाइकिया को साल 2013 में यूनेस्को ने अपनी विश्व सांस्कृतिक विरासत की अस्थायी सूची में शामिल किया है।
सीटों पर होते थे चिन्ह
प्रोफेसर डॉ. सेमल सिमसेक ने 2200 साल पुराने वेस्ट थिएटर में खुदाई का काम किया है। उन्होंने बताया कि खुदाई के दौरान उन्हें थियेटर के निचले हिस्सों में 23 और ऊपरी हिस्सों में 20 लोगों के बैठने की जगह मिली है। इतना ही नहीं अपनी-अपनी सीट पहचानने के लिए सीट के आगे अक्षर भी खुदे हुए थे जैसे आज सिनेमाघरों में होता है।
प्रोफेसर डॉ. सेमल सिमसेक ने 2200 साल पुराने वेस्ट थिएटर में खुदाई का काम किया है। उन्होंने बताया कि खुदाई के दौरान उन्हें थियेटर के निचले हिस्सों में 23 और ऊपरी हिस्सों में 20 लोगों के बैठने की जगह मिली है। इतना ही नहीं अपनी-अपनी सीट पहचानने के लिए सीट के आगे अक्षर भी खुदे हुए थे जैसे आज सिनेमाघरों में होता है।
सामाजिक कार्यक्रम भी होते थे इस थियेटर में बड़ा हॉल भी था जहां सम्मान समारोह और लेखक-कलाकारों के सत्र आयोजित होते थे। थिएटर की ऐसी आधुनिक व्यवस्था दर्शाती है कि उस समय के लोग बहुत व्यवस्थित और आधुनिक जीवनशैली वाले थे। साथ ही शहर के विशिष्ठ और खास वर्ग से संबंध रखने वाले लोगों के लिए बैठने की वीआईपी व्यवस्था भी होती थी।