सरलता से राजनीति के हर मार्चे फतह करने वाले पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर जिंदगी की जंग हार गए। वे काफी समय से कैंसर से पीडि़त थे। वे राज्यसभा सांसद और गोवा के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। पर्रिकर के रक्षा मंत्री रहते हुए ही भारत ने पाक में सर्जिकल स्ट्राइक की थी।
-17 मार्च
भाजपा की वरिष्ठ नेता और प्रखर वक्ता सुषमा स्वराज का दिल का दौरा पडऩे से निधन हुआ। महज 25 साल की उम्र में वह राजनीति में आईं सुषमा दिल्ली की पहली मुख्यमंत्री होने के अलावा सूचना प्रसारण और विदेश मंत्री रही। 1977 में वह पहली बार विधायक बनीं। इसके बाद 1990 में वह राज्यसभा पहुंचीं।
-6 अगस्त
पार्टी के ‘संकट मोचक’ वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली भी लंबी बीमारी के बाद दुनिया छोड़ गए। 1977 में जेटली छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए थे। जेटली ने वित्त, रक्षा और कानून मंत्रालयों की अहम जिम्मेदारी संभाली। बतौर वित्त मंत्री उन्होंने अर्थव्यवस्था में कई सुधार किए। जीएसटी को अमल में लाने का श्रेय उन्हें ही जाता है।
-24 अगस्त
अटल बिहारी सरकार में रक्षा मंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडीस फर्नांडीस लंबे समय से अल्जाइमर से पीडि़त थे। ट्रड यूनियन के नेता के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई। समता पार्टी के संस्थापक फर्नांडीस राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य रहे। रक्षा, संचार, उद्योग, रेल आदि मंत्रालय संभाले। पोकरण परमाणु परीक्षण में उनकी अहम भूमिका थी।
-29 जनवरी
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। दिल्ली की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने के बावजूद 2013 में आप नेता अरविंद केजरीवाल से चुनाव हार गईं। शीला दीक्षित ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत उस समय की जब उनके ससुर उमाशंकर दीक्षित, इंदिरा गांधी की सरकार में गृह मंत्री थे।
-20 जुलाई
देश के मशहूर वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम जेठमलानी अपनी बेबाक राय के कारण हमेशा सुर्खियों में रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कानून, न्याय और कंपनी अफेयर मंत्री रहे। इंदिरा गांधी के हत्यारों के लिए जब कोई पैरवी करने को तैयार नहीं था, तब राम जेठमलानी ने इस केस को अपने हाथ में लिया था।
-8 सितंबर
भारत में चुनाव नियमों को सख्ती से लागू करवाने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन वर्ष 1990 से 1996 तक भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे। शेषन को चुनाव प्रक्रिया में बड़े और अहम बदलाव करने के लिए जाना जाता है। 1996 में उन्हें रमन मैग्सेसे अवॉर्ड दिया गया था।
-10 नवंबर
फिल्म अभिनेता, निर्देशक, लेखक और रंगकर्मी गिरीश कर्नाड ने हिंदी और दक्षिण भारत की 100 से अधिक फिल्मों में काम किया। संस्कार, मंथन, उत्सव उनकी यादगार फिल्में हैं। उन्होंने दूरदर्शन धारावाहिक अपना-अपना आसमान में भी उनकी भूमिका याद की जाती है। गिरीश कर्नाड को संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी, पद्मश्री, पद्म भूषण आदि सम्मानों से नवाजा गया था।
-10 जून
भारतीय क्रिकेट कोच रमाकांत अचरेकर सचिन तेंदुलकर सहित बड़े क्रिकेटर्स के कोच रहे। सचिन तो उन्हें अपना गुरु मानते थे। अचरेकर को पद्मश्री और द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
-2 जनवरी
हिंदी के मशहूर साहित्यकार, आलोचक और लेखक नामवर सिंह ने आलोचना और साक्षात्कार शैली को नया आयाम दिया। नामवर सिंह को साहित्य अकादमी सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान के अलावा कई अन्य सम्मान मिले।
-20 फरवरी
विख्यात साहित्यकार कृष्णा सोबती को राजनीति-सामाजिक मद्दों पर मुखर राय के लिए जाना जाता है। सोबती ने अपनी रचनाओं में महिला सशक्तीकरण और स्त्री जीवन की जटिलताओं को उकेरा। सोबती को साहित्य अकादमी, ज्ञानपीठ व पद्म भूषण पुरस्कार के साथ ही कई अन्य सम्मान भी मिले। सूरजमुखी अंधेरे के, जिंदगीनामा, ऐ लडक़ी उनकी कालजयी रचनाएं हैं।
25 जनवरी
दूरदर्शन न्यूज एंकर नीलम शर्मा का कैंसर की बीमारी के बाद निधन हो गया। ‘तेजस्वनी’ और ‘बड़ी चर्चा’ नीलम के चर्चित शो थे। नीलम दो दशक से दूरदर्शन न्यूज के साथ जुड़ी हुई थीं। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले की रहने वाली नीलम की शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में हुई। स्पष्ट उच्चारण और सौम्य चेहरे के कारण थोड़े समय में ही वे दूरदर्शन की मशहूर न्यूज एंकर बन गई थीं।
-17 अगस्त
लंबे समय तक मिस्र की सत्ता पर काबिज होस्नी मुबारक के सत्ता से हटने के बाद 2012 में मोहम्मद मुर्सी राष्ट्रपति बने थे। जासूसी के आरोप में अदालत में सुनवाई के दौरान दिल का दौरा पडऩे के बाद उनकी मौत हुई। मुर्सी का ताल्लुक देश के सबसे बड़े इस्लामी समूह मुस्लिम ब्रदरहुड से था, जिसकी अगुवाई में होस्नी मुबारक के खिलाफ आंदोलन छिड़ा।
-17 जून
रॉबर्ट मुगाबे 1980 से 1987 तक जिम्बाब्वे के प्रधानमंत्री और 1987 से 2017 तक राष्ट्रपति रहेे। सबसे लंबे समय तक शासन करने का कीर्तिमान मुगाबे के नाम ही है। वे 37 वर्ष तक सत्ता में रहे। 2017 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। मुगाबे ने अश्वेत लोगों के सशक्तिकरण के लिए काफी संघर्ष किया। स्वतंत्रता संग्राम के बाद मुगाबे अफ्रीकियों के नायक के तौर पर उभर कर सामने आए।
-6 सितंबर
चार दशक से मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीडि़त विख्यात गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुमनामी भरा जीवन खत्म हो गया। प्रखर बुद्धि वाले सिंह 1965 में अमरीका चले गए। 1969 में कैलिफोर्निया विवि से पीएचडी कर वाशिंगटन में प्रोफेसर बन गए। नासा में भी काम किया, मन नहीं लगा तो 1971 में भारत लौट आए।
-14 नवंबर