श्री गंगानगर

यह दौर हमें बहुत कुछ सीखा रहा है, गंगनागर के लोग जागरुक हैं इसलिए हम ग्रीन जोन में है, यह सुखद है…

एक्ट्रेस रीत कोर सोहल से बातचीत

श्री गंगानगरMay 17, 2020 / 11:43 pm

Raj Singh

यह दौर हमें बहुत कुछ सीखा रहा है, गंगनागर के लोग जागरुक हैं इसलिए हम ग्रीन जोन में है, यह सुखद है…

श्रीगंगानगर. शूटिंग, कभी प्रमोशन, कभी थियेटर में तो कभी नए प्रोजेक्ट को लेकर जुट जाना। लॉकडाउन से पहले कुछ इसी तरह से लाइफ चलती थी और मुझे अपने इस तरह के बिजी रूटीन से कभी कोई शिकायत नहीं थी। बल्कि अच्छा लगता था खुद को काम करते हुए देखना।
लेकिन अब हालात ठीक नहीं है मुंबई में हालात भयावह है। सह कलाकार डरे सहमे हुए है। वह अपने घर भी नहीं लौट सकते, मुझे उनकी चिंता है। वहीं श्रीगंगानगर के लोग सजग है। प्रशासन का पूरा सहयोग कर रहे हैं, इसीलिए यह ग्रीन जोन में है, जो बेहद सुखद है।

अपने गृह नगर पदमपुर में रह रहीं एक्ट्रेस रीत कोर सोहल का कहना है कि अब लॉकडाउन है तो समय मिला है तो उसे पूरा कर रही हूं। जैसे मैंने कुछ किताबें खरीद रखी थी, लेकिन उन्हें पूरी नहीं पढ़ पाई थी। तो अब उन्हें पढ़ रही हूं। मुझे ऐतिहासिक और प्रेरणादायक किताबें पढऩा बेहद पंसद है।
फिलोसिपी ओर बायोग्राफी भी पढ़ती हूं ताकि उनकी जर्नी के बारे में जान सकूं। इन दिनों रशियन लेखक कोन्स्टान्टिन स्तानिस्लावस्की की कुछ किताबें औऱ भारतीय दर्शन शास्त्र पढ़ रही हूं । मेडिटेशन के बारे में सोचा करती थी कि किया करूंगी, पर समय के कारण कर नहीं पाती थी। अब उसके लिए भी वक्त मिला है।
देखा जाए यह जो हमें फुर्सत का समय मिला है, वह हमारी चॉइस से नहीं मिला। इस दौरान कुछ परेशानियां भी हो रही हैं। लेकिन कोरोना वायरस से बचाव व इससे लडऩे के लिए यह भी जरूरी है। इस समय मैं घर पर हूं तो अपने फोन से दूरी बनाकर रखी है।
अपने आस पड़ोस मे लोग बेहतर केयर करते हैं, प्यार बांटते है लेकिन मुंबई मे बीजी लाइफ में ऐसा कुछ भी नहीं है। अक्सर फोन, सोशल मीडिया की वजह से कई चीजों में उलझ जाते हैं। फिट रहना जरूरी है तो वर्कआउट भी कर रही हूं। लॉकडाउन के बीच एक बात का अहसास हुआ है जो शौक है उन्हें आगे के लिए न छोडकऱ समय रहते ही पूरे कर लेना चाहिए।

सावधानी रखें, बचत करें, यह दौर बहुत कुछ सीखा रहा है…..
बीते दिनों ऋषि कपूर ओर इरफान खान सर के निधन पर बहुत दुखी हुई। मुंबई में पृथ्वी थियेटर से जुड़े 3 साल हो गए हैं। काफी कुछ सीखा और काफी कुछ जाना भी। वहां हर साल नवंबर में होने वाले पृथ्वी फेस्टिवल में दिवंगत ऋषि कपूर ओर इरफान खान सर से कई बार मिली। मुंबई से सैकड़ों मील दूर घर पर मां का साथ मिला, उनसे मैंने सबसे पहले तो खुद के गुस्से पर काबू पाना सीखा।

अपने इर्द- गिर्द और बाकी जगह का हाल जाना तो अहसास हुआ धरती खुलकर सांस ले रही है, पशु- पक्षी आजादी से घूम रहे हैं, उड़ रहे हैं। इसके अलावा अब खुद से ही सवाल-जवाब का सिलसिला लगातार चलता रहता है। मन में कभी कोरोना वॉरियर्स के बारे में सोचती हूं कि कैसे वे दिन रात जुटे हुए हैं। चाहे फं्रट लाइन के हो या फिर किसी भी रूप में, उनके प्रति पहले से भी ज्यादा मान-सम्मान बढ़ गया।
मुंबई में बेहद खर्चीली लाइफ है ऐसे मे बचत की अहमियत को जाना ओर महसूस किया कि आप जीवन में कुछ भी बचाएं ओर उसे समाज कि बेहतरी के लिए खर्च करें। यह दौर बहुत कुछ सिखा रहा है। ईश्वर मुम्बई ओर ऑस्ट्रेलिया रह रहे सहकर्मियों की रक्षा करें यही दुआ है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.