जबलपुर

उच्च शिक्षा में परचम लहरा रहे आदिवासी बच्चे, राजनीति में भी बनाया मुकाम

शिक्षा का बढ़ा दायरा, जीवन शैली में आया बदलाव
 
 

जबलपुरAug 09, 2022 / 09:06 pm

shyam bihari

1106 parents applied online under Right to Education Act,1106 parents applied online under Right to Education Act,RTE

जबलपुर-375231

पुुरुष-189915

महिला-185316

छात्रों की संख्या-57000

छात्रवृत्ति-7 करोड़ रुपए सालाना

यह आया बदलाव

-उच्च पदों पर आसीन

-राजनीति में दखल

-उच्च शिक्षा में युवा आगे

-खेती में तकनीक का प्रयोग

-जीवन स्तर में परिवर्तन

जबलपुर। आदिवासी समाज आज मुख्यधारा में शामिल होकर कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहा है। आदिवासी समाज के बच्चे अब स्कूल ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षा के लिए भी आगे आ रहे हैं। तकनीकी और मेडिकल की पढ़ाई के लिए भी बच्चे आगे आए हैं। शिक्षा के साथ समाज के रहन-सहन और जीवन शैली में भी परिवर्तन आया है। जबलपुर जिले में 3.75 लाख की आबादी आदिवासी समाज की है। जिले में कुंडम, चरगवां, शहपुरा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। इसके अलावा बरेला, पाटन , मझौली क्षेत्र में भी इनकी कुछ आबादी है।

3435 आदिवासी बच्चों को स्कॉलरशिप

आदिवासी समाज के छात्र-छात्राओं की तकनीकी शिक्षा, मेडिकल शिक्षा में भी हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। 10 साल पूर्व तक जहां उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या जहां 3 अंकों के अंदर हुआ करती थी आज वह बढ़कर हजारों में पहुंच गई है। जिले 3435 आदिवासी बच्चे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शासन से स्कॉलरशिप भी प्राप्त कर रहे हैं। हर साल करीब 7 करोड़ की राशि इन छात्रों को प्राइमरी और उच्च शिक्षा अध्ययन के लिए दी जा रही है।

छात्रों की संख्या में इजाफा

स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। पांच साल पूर्व तक प्राथमिक एवं माध्यमिक कक्षाओं में पढने वाले बच्चों की संख्या जहां 30 हजार के आसपास थी वह अब बढ़कर 44 हजार पहुंच गई है। हाई एवं हायर सकेंडरी में भी करीब 7 हजार छात्र स्कूलों में अध्ययनतर हैं। उच्च शिक्षा के लिए करीब 6000 छात्र इस वर्ग जुडे हैं।

जीवन शैली में परिवर्तन

शिक्षा ने इस समुदाय के 40 फीसदी लोगों की जीवनशैली को बदल दिया है। पंचायती राज में पंच, सरपंच, जनपद अध्यक्ष, जनपद प्रतिनिधि, जिला पंचायत प्रतिनिधि जैसे पदों को इस समाज के लोगों ने सुशोभित किया है। आज युवा वर्ग हो या फिर खेती किसानी, नौकरी पेशा करने वाला अब वह भी तकनीकी रूप से अपडेट हुआ है। कम्प्यूटर, मोबाइल, लेपटॉप के उपयोग में दूसरे से पीछे नहीं हैं। खेती किसानी का मसला भी मोबाइल तकनीक के उपयोग से हल कर रहे हैं।

 

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अब आदिवासी समाज के बच्चे आगे आ रहे हैं। शासन इसके लिए उन्हें हर स्तर पर सहयोग दे रही है। एक दशक के दौरान बदलाव देखा गया है। तकनीकी पढ़ाई में आगे आ रहे हैं।

-पीके सिंह, क्षेत्र संयोजक जनजाति विभाग

आदिवासी समाज में जागरूकता बढ़ी है। छात्रों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। कोविड काल के दौरान आदिवासी बेल्ट में अभिभावकों और बच्चों ने मोबाइल तकनीक का शिक्षण कार्य में बेहतर उपयोग कर इसे साबित भी कर दिखाया।

-डीके श्रीवास्तव, एपीसी, जिला शिक्षा केंद्र

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