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दस देशों के आदिवासी समूहों को इसलिए मिला एक लाख डॉलर का पुरस्कार

Published: Oct 22, 2020 04:11:53 pm

Submitted by:

pushpesh

-भूमध्य रेखा पुरस्कार उन व्यक्ति या संगठनों को दिया जाता है, जिन्होंने पर्यावरण और प्रकृति को बचाने में उल्लेखनीय कार्य किया है।
-UNDP Equator Prize focuses on Nature for Life
-indigenous peoples’ initiatives

दस देशों के आदिवासी समूहों को इसलिए मिला एक लाख डॉलर का पुरस्कार

पर्यावरण और प्रकृति को बचाने में उल्लेखनीय कार्य किया

पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से दिए गया एक महत्वपूर्ण पुरस्कार सुर्खियां नहीं बन सका, लेकिन इसकी अहमियत दुनिया के जरूरी है। दरअसल हर वर्ष दिए जाने वाले एक्वेटर प्राइज यानी भूमध्य रेखा पुरस्कार उन व्यक्ति या संगठनों को दिया जाता है, जिन्होंने पर्यावरण और प्रकृति को बचाने में उल्लेखनीय कार्य किया है। इस बार दस देशों के दस आदिवासी समूहों को यह पुरस्कार दिया गया है, जिन्होंने अपनी बरसों पुरानी रवायतों के जरिए प्रकृति को संरक्षित किया। पुरस्कार के तहत एक लाख डॉलर दिए जाते हैं।
ये देश रहे विजेता :
कनाडा, म्यांमार, इक्वाडोर, कांगो, ग्वाटेमाला, इंडोनेशिया, केन्या, मेडागास्कर, मैक्सिको और थाइलैंड की जनजातियों को पुरस्कृत किया गया। कनाडा और म्यांमार को पहली बार ये पुरस्कार मिला है।

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कुदरत के सच्चे सिपाही
नाशुलाइ मसाई कंजर्वेंसी केन्या के मसाइमारा रिजर्व में वन्यजीव संरक्षण की नई प्रथाओं को रच रहा है। संगठन यहां हाथी और शेरों के अनुकूल जंगल खड़ा कर रहा है। इसी तरह उत्तरी थाइलैंड का बून रुयंग संस्था वेटलैंड वन संरक्षण का जिम्मा बखूबी निभा रहा है।
जलवायु के खतरों से लड़ रहे
संयुक्त राष्ट्र ने इस पुरस्कार के जरिए 82 देशों के 255 सामुदायिक प्रयासों को अब तक मान्यता दी है। ये न केवल अपने स्तर पर जलवायु परिवर्तन के खतरों से लड़ रहे हैं बल्कि जंगल, खेत, आद्र्रभूमि को समुद्री परिस्थितिक तंत्र को बेहतर करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
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