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तीन तलाक बिल: क्या सोचती हैं कानूनी लड़ाई लडऩे वाली महिलाएं?

Published: Jan 03, 2018 12:57:01 pm

Submitted by:

ashutosh tiwari

जानते हैं इस मसले को शीर्ष अदालत तक ले जाने वाली महिलाओं का रुख….

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तीन तलाक बिल बुधवार को राज्यसभा में पेश होने की संभावना है। बिल के आपराधिक प्रावधानों पर कुछ आपत्तियां हैं। इन पर विपक्ष गोलबंद हो सकता है। जानते हैं इस मसले को शीर्ष अदालत तक ले जाने वाली महिलाओं का रुख….
रुकने वाली नहीं, अब हलाला के खिलाफ भी होगी जंग
मेरे ख्याल से जेल का प्रावधान सही है। इससे लोग डरेंगे। भरण-पोषण की समस्या तो तीन तलाक पर भी आती है। पति पर भारी जुर्माना लगाना चाहिए। इससे पत्नी और बच्चों का खर्चा कम से कम तीन साल चल सके। पति जेल में हो, तब पत्नी को संपत्ति बेचने का भी अधिकार मिले। मैं आगे मुस्लिम समाज में हलाला और बहुविवाह जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ लड़ाई जारी रखूंगी। -सायरा बानो, हल्द्वानी
क्यों सहे कोई अत्याचार?
जब गुनाहगार की सजा की बात आ रही तो भरण-पोषण का प्रश्र क्यों उठाया जा रहा है। कानून से महिला पर अत्याचार बढऩे की बात भी गलत है। कोई महिला अत्याचार क्यों सहेगी। वह शिकायत करेगी।
– इशरत जहां, कोलकाता
मिले 3 माह का समय
तीन तलाक में जेल भेजने से पहले तीन महीने का समय देना चाहिए। अगर तीन महीने में भी न माने तो जेल सही कदम है। इससे अत्याचार नहीं बढ़ेगा। मौलिक अधिकार के हनन की बात भी गलत है।
-आफरीन रहमान, जयपुर
तो घर का माहौल होगा बेहतर
पति के साथ रहने पर बच्चों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। वह जेल जाएगा तो घर का माहौल पहले से बेहतर होगा। बच्चे पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान दे सकेंगे। हजरत साहब ने कभी तीन तलाक की बात नहीं की। -साइश्ता अम्बर, समाजसेवी
पति जेल जाएगा, तो घर का माहौल होगा बेहतर
तीन तलाक देने वाले पति को अगर जेल भेजा जाता है तो उसका असर न बच्चों पर पड़ेगा और न ही औरत पर। दरअसल, महिलाएं अपने पति से परेशान होने के बाद भी उत्पीडऩ झेलती रहती हैं। ऐसे हालात में पति के साथ रहने पर बच्चों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। अगर पति जेल जाएगा तो घर का माहौल पहले से बेहतर होगा। बच्चे पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान दे सकेंगे। जहां तक यह सवाल है कि इस कानून आने के बाद पति महिलाओं को परेशान करेंगे। सच तो यह है कि वे पहले से ही परेशान करते हैं, तब ही तो तलाक की बात सामने आती है। हजरत साहब ने कभी तीन तलाक की बात नहीं की। यह कुछ लोगों द्वारा अपने मुताबिक बनाई गई व्यवस्था है।
साइश्ता अम्बर, समाजसेवी
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