scriptहादसे में अपनों को खोया, संवार रहीं लोगों का जीवन | Trying to bring happiness in the lives of the families of the victims | Patrika News

हादसे में अपनों को खोया, संवार रहीं लोगों का जीवन

Published: Oct 20, 2021 10:50:29 pm

Submitted by:

Deovrat Singh

शहर की दो साहसी महिलाओं चंपा देवी शुक्ला और रशीदा बी के परिवार गैस त्रासदी में तबाह हो गए थे। उन्होंने अपना सब कुछ खो दिया। उसके बाद भी हिम्मत नहीं हारी और नए सिरे से जिदंगी जीने के लिए खुद को खड़ा किया।

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शहर की दो साहसी महिलाओं चंपा देवी शुक्ला और रशीदा बी के परिवार गैस त्रासदी में तबाह हो गए थे। उन्होंने अपना सब कुछ खो दिया। उसके बाद भी हिम्मत नहीं हारी और नए सिरे से जिदंगी जीने के लिए खुद को खड़ा किया। दोनों त्रासदी के शिकार हुए ऐसे परिवारों के जीवन में खुशियां लाने की कोशिश में जुटी हैं, जिनके घर पर गैस त्रासदी के असर से आज भी विकलांग बच्चे पैदा हो रहे हैं। इस प्रयास के लिए उन्हें अमरीका से गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार मिला। साथ ही 1.20 लाख डॉलर पुरस्कार राशि भी मिली। इससे ही 2004 में चिंगारी संस्था की नींव डाली। इसके जरिए गैस त्रासदी के शिकार मानसिक विमंदित, दिव्यांग बच्चों की मदद कर रही हैं। इन दोनों ने डाउ केमिकल के खिलाफ आंदोलन छेड़ा। स्विट्जरलैंड, इजराइल, अफ्रीका और अमरीका में कंपनी के विरोध में झाडू आंदोलनभी चलाया।

ऐसे मिलीं चंपा और रशीदा
गैस त्रासदी में चंपा ने अपने पति और तीन बेटों को खोया। रशीदा ने बताया कि गैस हादसे के बाद वह परिवार सहित सोहागपुर चली गईं, जहां रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। छह माह बाद भोपाल लौटने पर सरकार की गैस पीडि़तों को पुर्नवास देने की योजना में शामिल हुईं। यहीं उनकी मुलाकात चंपा से हुई। फिर दोनों पीडि़त बच्चों के इलाज के लिए काम करने में जुट गईं।

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