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हथियारों के फर्जी लाइसेंस में आईएएस सहित दो गिरफ्तार

Published: Mar 02, 2020 06:56:28 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

( Jammu News ) राजस्थान में फर्जी हथियार के लाइसेंस के अवैध वितरण घोटाले के भंडाफोड़ के बाद मामले की जाँच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य में आईएएस सहित दो अधिकारियों को गिरफ्तार ( IAS arrested ) किया है। गिरफ्तार आईएएस अधिकारी पूर्व में जिला मजिस्ट्रेट कुपवाड़ा के रूप में तैनात था।

हथियारों के फर्जी लाइसेंस में आईएएस सहित दो गिरफ्तार

हथियारों के फर्जी लाइसेंस में आईएएस सहित दो गिरफ्तार

जम्मू: ( Jammu News ) राजस्थान में फर्जी हथियार के लाइसेंस के अवैध वितरण घोटाले के भंडाफोड़ के बाद मामले की जाँच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य में आईएएस सहित दो अधिकारियों को गिरफ्तार ( IAS arrested ) किया है। गिरफ्तार आईएएस अधिकारी पूर्व में जिला मजिस्ट्रेट कुपवाड़ा के रूप में तैनात था।

कुपवाड़ा में थे कार्यरत
गिरफ्तार किए गए दो लोग राजीव रंजन और इटारसी हुसैन रफीकी हैं, दोनों ने 2013-2015 और 2015-2016 तक क्रमश: जिला मजिस्ट्रेट, कुपवाड़ा के रूप में कार्य किया। एजेंसी ने पिछले हफ्ते घोटाले के सिलसिले में एक निजी व्यक्ति, राहुल ग्रोवर को गिरफ्तार किया था। ग्रोवर कथित तौर पर तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य के विभिन्न जिलों के बंदूक डीलरों और अधिकारियों के एक समूह के रूप में काम कर रहा था।

थोक में जारी किए थे लाइसेंस
एजेंसी ने पिछले दिसंबर में जम्मू-कश्मीर और केंद्र सरकार की सहमति पर एक मामला दर्ज किया था और राज्य पुलिस से इस मामले की जांच का जिम्मा लिया था कि 2012 से 2016 की अवधि के दौरान जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों के उपायुक्त और जिला कुपवाड़ा ने धोखाधड़ी और अवैध रूप से थोक हथियार लाइसेंस जारी किए थे।

यह था फर्जीवाड़ा
रफ़ीकी 2013-2015 तक कुपवाड़ा के जिलाधिकारी थे। 2015-16 तक इस पद पर थे राजीव रंजन। जानकारी के मुताबिक 4 लाख से अधिक आम्र्स लाइसेंस जारी किये गए। और इनमें से 90 फीसदी लाइसेंस जम्मू-कश्मीर से बाहर के लोगों को दिए गए। कुपवाड़ा, बारामुला, शोपियां, राजोरी, उधमपुर, डोडा और रामबन जिले में सबसे अधिक लाइसेंस जारी किये गए। डोडा, रामबन और उधमपुर जिले से जारी 1 लाख 43 हजार 13 लाइसेंस में से 1 लाख 32 हजार 321 लाइसेंस दूसरे राज्यों में रहने वालों को जारी किये गए।

महेन्द्र धोनी ने भी किया था आवेदन
हालांकि कुपवाड़ा जिले में, जहां इन दो अफसरों की तैनाती रही, लाइसेंस से जुड़ी कोई फाइल भी नहीं मिली। क्रिकेटर और पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी यहां से लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, जिसे रद्द कर दिया गया था। राजीव रंजन की गिरफ्तारी से जुडी खबरों की मानें तो कुपवाड़ा जिले में लाइसेंस मामले से जुडी कोई भी फ़ाइल नहीं मिली है।

कैसे खुला मामला?
दरअसल मामला जम्मू-कश्मीर से निकलकर पहुंच गया राजस्थान। पुलिस ने राजीव रंजन के भाई ज्योति रंजन को 2017 में गिरफ्तार किया । ज्योति रंजन के पास से फर्जी आम्र्स लाइसेंस की बरामदगी हुई। उस समय राजस्थान के डीजीपी ओपी मल्होत्रा थे । उन्होंने शक जताया कि इसमें राजीव रंजन का भी हाथ हो सकता है।

श्रीगंगानगर से शुरू हुआ था मामला
इसके पहले 2007 में श्रीगंगानगर में फर्जी लाइसेंस के काफी मामले प्रकाश में आये थे। लगभग आधा दर्जन आईएएस अधिकारियों का नाम जांच के रडार में आया। कई आर्मी अधिकारी भी लिप्त माने गए। ये आशंका ज़ाहिर की गयी कि जम्मू से लोगों ने राजस्थान आकर लाइसेंस बनवाए थे। क्योंकि जम्मू-कश्मीर में सेना तैनात रहती है और यहाँ लाइसेंस बनाना आसान था। राजस्थान एटीएस ने 2017 में तत्कालीन मुख्य सचिव बीबी व्यास को इस रैकेट के बारे में पत्र भेजकर सूचना दी थी। राज्यपाल एनएन वोहरा के पास बात गयी।

जुबैदा कोड नेम
एटीएस ने जांच शुरू की। इस ऑपरेशन को एटीएस ने ज़ुबैदा कोडनेम दिया। जांच में 50 से अधिक लोगों के पास जम्मू-कश्मीर से जारी गन लाइसेंस मिले थे। जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हासिल किए गए थे। इसी दौरान ज्योति रंजन की गिरफ्तारी हुई। 3367 सुरक्षाकर्मियों का भी नाम आया, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर से फर्जी लाइसेंस हासिल किये थे।

30 हजार से ज्यादा लाइसेंस जारी कर दिए
मई 2018 में पूरी मामले की जांच सीबीआई को दे दी गयी। सीबीआई ने पता लगाया कि अपनी एक साल की तैनाती के दौरान लगभग 30 हज़ार हथियारों के लाइसेंस जारी किए गए । हरेक लाइसेंस 8-10 लाख रूपए लिए गए। कश्मीरियों के अलावा चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान के लोगों को फर्जी कागजों पर लाइसेंस दिए गए। आशंका जताई जा रही है कि ज़्यादातर लाइसेंस अपराधियों ने बनवाये, ताकि वे बिना रोकटोक कहीं भी हथियार लेकर आवाजाही कर सकें। चूंकि राजीव रंजन कश्मीर काडर के अधिकारी हैं, इसलिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन से इजाज़त लेनी पड़ी। और फिर चंडीगढ़ से गिरफ्तारी की गई।

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