कोटा. कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके दिल्ली के विजुअल आर्ट डिजाइनर विवेक करमोकर इन दिनों कोटा प्रवास पर हैं। यहां वे हाड़ौती के चित्रकारों के साथ लाइव आर्ट प्रदर्शनी में कला की बारीकियां सिखा रहे हैं। यह प्रदर्शनी नए रोडवेज बस स्टैण्ड स्थित आहूवालिया मॉल में चल रही है। पत्रिका से बातचीत में उन्होंने कहा, यदि कला के क्षेत्र में आगे बढऩा है तो नई पीढ़ी को अपने देश की कला, संस्कृति और इतिहास को अच्छे से पढऩा होगा।
द ग्रेट मॉल ऑफ कोटा में मिनेचर आर्ट को लेकर लाइव आर्ट एक्शन कार्यक्रम की शुरूआत हो गई है। इसके तहत कोटा में सबसे बड़ी मिनिचिएर पेंटिंग इवोल्यूशन ऑफ किचन के निर्माण द्वारा राजस्थानी कला का प्रदर्शन किया जा रहा है।
पत्रिका: नवोदित चित्रकारों के लिए आप क्या कहना चाहते हैं
करमोकर: जितने भी बच्चे हैं जो अभी स्कूल में हैं और उन्हें आर्ट में रुचि है और वे आगे बढऩा चाहते हैं, जरूरी नहीं है वे आर्टिस्ट ही बनें या इसी दिशा में कैरियर बनाए। आर्ट का अर्थ जीवन जीने के तरीके से है। यह एक अभिव्यक्ति का माध्यम है। यदि कैरियर बनाना है तो इसकी पढ़ाई भी कर सकते हैं, जो सीखें उसे इंडस्ट्री में एप्लाई कर सकते हैं।
करमोकर: जितने भी बच्चे हैं जो अभी स्कूल में हैं और उन्हें आर्ट में रुचि है और वे आगे बढऩा चाहते हैं, जरूरी नहीं है वे आर्टिस्ट ही बनें या इसी दिशा में कैरियर बनाए। आर्ट का अर्थ जीवन जीने के तरीके से है। यह एक अभिव्यक्ति का माध्यम है। यदि कैरियर बनाना है तो इसकी पढ़ाई भी कर सकते हैं, जो सीखें उसे इंडस्ट्री में एप्लाई कर सकते हैं।
पत्रिका: रोजगार की दृष्टि से यह क्षेत्र कैसा है?
करमोकर: इस दौर में रोजगार और आगे बढऩे के बहुत ज्यादा अवसर हैं। कोटा में पांच दिन में बहुत से विद्यार्थी आए, लेकिन उनमें से किसी ने भी यह सवाल नहीं किया इसके माध्यम से रोजगार कैसे करें। उन्होंने पूछा हम बनाएं क्या और कला को आगे कैसे बढ़ाए। यह बात बहुत सुखद है। जहां तक रोजगार की बात है तो आज की पीढ़ी बहुत जागरूक और सोशल मीडिया के जरिए कनक्टेड है। इससे देश दुनिया के दूसरे कलाकारों के संपर्क में रह सकते हैं। दस साल पहले ऐसा विकल्प नहीं था।
करमोकर: इस दौर में रोजगार और आगे बढऩे के बहुत ज्यादा अवसर हैं। कोटा में पांच दिन में बहुत से विद्यार्थी आए, लेकिन उनमें से किसी ने भी यह सवाल नहीं किया इसके माध्यम से रोजगार कैसे करें। उन्होंने पूछा हम बनाएं क्या और कला को आगे कैसे बढ़ाए। यह बात बहुत सुखद है। जहां तक रोजगार की बात है तो आज की पीढ़ी बहुत जागरूक और सोशल मीडिया के जरिए कनक्टेड है। इससे देश दुनिया के दूसरे कलाकारों के संपर्क में रह सकते हैं। दस साल पहले ऐसा विकल्प नहीं था।
पत्रिका: आपने कैसे शुरू किया कैरियर?
करमोकर : मैंने 1980 में फाइन आर्ट की पढ़ाई करके काम शुरू किया, विदेश भी पढऩे गया। उसके बाद अलग-अलग देशों में प्रदर्शनी लगाई। 12 साल दूसरे देशों में रहा। इस दौर में ईमेल और सोशल मीडिया का फेज आया तो बहुत कुछ आसान हो गया।
करमोकर : मैंने 1980 में फाइन आर्ट की पढ़ाई करके काम शुरू किया, विदेश भी पढऩे गया। उसके बाद अलग-अलग देशों में प्रदर्शनी लगाई। 12 साल दूसरे देशों में रहा। इस दौर में ईमेल और सोशल मीडिया का फेज आया तो बहुत कुछ आसान हो गया।
पत्रिका: नवोदित चित्रकार आगे कैसे बढ़ें?
करमोकर: अपने इतिहास, अपने देश की कला को पढ़े, कलाकार और देश का नेतृत्व करने वाले बड़े लोगों की जीवनी को पढ़ें। जब भूत और भविष्य को जान पाएंगे तो कला को आगे ले जा पाएंगे। देश के क्रॉफ्ट और कलाकारों के बारे में भी पढ़ाई करें और उन्हें भी आगे ले जाएं।
करमोकर: अपने इतिहास, अपने देश की कला को पढ़े, कलाकार और देश का नेतृत्व करने वाले बड़े लोगों की जीवनी को पढ़ें। जब भूत और भविष्य को जान पाएंगे तो कला को आगे ले जा पाएंगे। देश के क्रॉफ्ट और कलाकारों के बारे में भी पढ़ाई करें और उन्हें भी आगे ले जाएं।