हमारा संविधान जितना उत्कृष्ट है, उतना ही शाश्वत। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जितने भी देशों में संविधान बने, उनमें ज्यादातर या तो बदल गए या वहां डिक्टेटरशिप आ गई। लेकिन तमाम झंझावातों के बाजवूद हमारा संविधान अक्षुण्ण रहा।
हमारे संविधान की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह हर किसी को सुरक्षा का भाव देता है। भले ही वह किसी जाति, धर्म या राजनीतिक दल का नेता हो। यहां तक कि आतंकी भी संविधान के अंतर्गत अधिकारों की दुहाई देते हैं। संविधान का नाम लेकर सडक़ों पर जाम, हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले समाज और देश के लिए हितकारी नहीं हैं, लेकिन संविधान उन्हें भी अधिकारों से वंचित नहीं करता। हमारा संविधान राष्ट्रीय एकता का संदेश देता है, लिहाजा इसका आदर करना और इसकी अस्मिता को बचाए रखना हम सभी का दायित्व है। संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, जिसका गलत अर्थों में उपयोग नहीं होना चाहिए। संविधान निर्माताओं ने जिस भाव और दूरदर्शिता से इसकी रचना की थी, उसका सम्मान करना सभी के लिए जरूरी है।
विविध पंथ और धर्म संस्कृतियों वाले देश में एकता और समानता का अधिकार हमारे संविधान की ताकत है। संविधान की इसी खूबसूरती के कारण दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका जैसे कई देशों ने अपने संविधान में इन बातों का समावेश किया है।
ये संवैधानिक नहीं है। राज्य अपनी मर्जी से ऐसा नहीं कर सकते, इसकी पालना जरूरी है। क्योंकि कोई भी विधेयक पहले चुनी हुई संसद पारित करती है। इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद यह कानून की शक्ल ले लेता है, जैसा हाल ही नागरिकता कानून बना। संविधान के अनुच्छेद 11 के मुताबिक कानून बनाने का अधिकार केवल और केवल संघ की संसद को प्राप्त है। संविधान की सातवीं अनुसूची संघ और राज्यों के मध्य संबंध को उल्लिखित करती है। इसमें तीन सूचियां हैं, संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची। नागरिकता संघ सूची में आती है यानी संसद ने जो कानून बनाया, वो संविधान सम्मत है और यह सभी राज्यों को मान्य होगा। यदि राज्य कानून नहीं मानते तो संघ सरकार अनुच्छेद 256 और 257 के अंतर्गत राज्य सरकारों को इसकी अनुपालना के लिए आदेश दे सकती है। हमें यह समझना चाहिए कि विरोध-प्रदर्शनों में सङ्क्षवधान का उल्लंघन न हो। ऐसा करने वाले जनता के प्रतिनिधि नहीं है। जो सडक़ों पर जाम लगाकर बैठे है, जो लोगों को बरगला रहे हैं, वे मु_ीभर हैं।