मामला पश्चिम बंगाल के कोलकाता का है जब यहां हावड़ा रेलवे स्टेशन के पास कोई निर्दयी इंसान बीच सड़क पर नवजात बच्ची को छोड़ भाग गया था। लेकिन तभी कुत्तों की नजर पड़ी, तो वे उसकी सुरक्षा में घंटों डटे रहे। इस दौरान आम लोग भी वहां से गुजरे, लेकिन किसी की नजर बच्ची पर नहीं गई। इस बच्ची की उम्र करीब 6 महीने थी और यह नवजात बच्ची सड़क के पास में पड़ी हुई रो रही थी। कई घंटे तक ये डॉगी उस बच्ची की सुरक्षा में तैनात रहे।
इस दौरान इस भीड़-भाड़ वाले इलाके से कई लोग सड़क से गुजरे पर किसी की नजर उस बच्ची पर नहीं पड़ी, तो कई लोगों ने उस बच्ची को देखकर अनदेखा कर दिया। इस प्रकार से कुत्तों ने इस बच्ची की जान बचाई। इन कुत्तों ने यह साबित कर दिया कि आज भले ही मानव कितना भी विकास और प्रगति की बात कर रहा हो, पर असल में वह आज जानवरों से भी ज्यादा पिछड़ गया है और जानवर आज भी अपने अंदर इंसानियत बनाए हुए हैं। साल 1996 में कुछ ऐसा ही हुआ था। तब भी मामला पश्चिम बंगाल के पुरुलिया का था, जिसमें चार कुत्तों ने एक नवजात को बचाया था।
लेकिन तभी वहां एक रेलवे पुलिस के जवान की नजर वहां मौजूद कुत्तों के झुंडपर पड़ी। उसे वहां कोई अप्रिय घटना होने का अंदेशा हुआ क्योंकि उसने सोचा कि वहां डॉगी क्यों जमा हैं। उसने तुरंत इस मामले के बारे में रेलवे कर्मियों को बताया। इस बाबत सूचना पाते ही कर्मियों ने पास जाकर देखा, तो आश्चर्य से उनकी आंखें फटी रह गईं क्योंकि वो डॉगी वहीं डटे थे और उसकी रक्षा कर रहे थे। इसके बाद बच्ची को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। जांच के बाद वहां से उसे चाइल्ड लाइन के हवाले किया गया। बच्ची की हालत स्थिर बताई जा रही है और पुलिस उस बच्ची के परिजनों को ढूंढने का प्रयास कर रही है।