1.पायलट को होती है परेशानी
जब प्लेन में किसी यात्री का मोबाइल आॅन होता है और उस पर कोई रिंगटोन बजती है, तो इससे सबसे ज्यादा परेशानी पायलट को होती है। उनके हेडफोन पर मोबाइल से निकली ध्वनि एक बज के तौर पर सुनाई देती है। लगातार आ रहे इस शोर से पायलट को इरिटेशन हो सकती है।
जब प्लेन में किसी यात्री का मोबाइल आॅन होता है और उस पर कोई रिंगटोन बजती है, तो इससे सबसे ज्यादा परेशानी पायलट को होती है। उनके हेडफोन पर मोबाइल से निकली ध्वनि एक बज के तौर पर सुनाई देती है। लगातार आ रहे इस शोर से पायलट को इरिटेशन हो सकती है।
2.टॉवर से नहीं मिलते सिग्नल
प्लेन को किस दिशा में उड़ान भरनी है, आगे का रास्ता साफ है या नहीं आती जानकारी पायलट को टॉवर के जरिए मिलती है, लेकिन प्लेन में किसी यात्री का मोबाइल आॅन होने से टॉवर के सिग्नल मोबाइल कैच करने लगता है। जबकि चालक को सही से सिग्नल नहीं मिलते। इसके चलते विमान को चलाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
प्लेन को किस दिशा में उड़ान भरनी है, आगे का रास्ता साफ है या नहीं आती जानकारी पायलट को टॉवर के जरिए मिलती है, लेकिन प्लेन में किसी यात्री का मोबाइल आॅन होने से टॉवर के सिग्नल मोबाइल कैच करने लगता है। जबकि चालक को सही से सिग्नल नहीं मिलते। इसके चलते विमान को चलाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
3.नहीं हो पाता संपर्क
प्लेन में मोबाइल के एरोप्लेन मोड पर न होने से उससे निकलने वाली तरंगे दूसरी जगहों के संपर्क सिस्टम से कनेक्ट होने लगती है। ऐसे में विमान का रेडियो स्टेशन से संपर्क टूटने लगता है। पायलट को निर्देश ठीक से सुनाई नहीं देते। ऐसा होने पर विमान के भी कै्रश होने की आशंका रहती है।
प्लेन में मोबाइल के एरोप्लेन मोड पर न होने से उससे निकलने वाली तरंगे दूसरी जगहों के संपर्क सिस्टम से कनेक्ट होने लगती है। ऐसे में विमान का रेडियो स्टेशन से संपर्क टूटने लगता है। पायलट को निर्देश ठीक से सुनाई नहीं देते। ऐसा होने पर विमान के भी कै्रश होने की आशंका रहती है।
4.कई देशों में है पाबंदी
हवाई यात्रा में मोबाइल में एरोप्लेन मोड आॅन रखना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कई देशों में ऐसा न करना गुनाह माना जाता है। इसके लिए कठोर सजा भी हो सकती है। इस गतिविधि को दूसरे देश संदिग्ध भी मानते हैं। उनके अनुसार मोबाइल आॅन रखना उनकी जरूरी इन्फारमेशन चुराना समझा जाता है।
हवाई यात्रा में मोबाइल में एरोप्लेन मोड आॅन रखना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कई देशों में ऐसा न करना गुनाह माना जाता है। इसके लिए कठोर सजा भी हो सकती है। इस गतिविधि को दूसरे देश संदिग्ध भी मानते हैं। उनके अनुसार मोबाइल आॅन रखना उनकी जरूरी इन्फारमेशन चुराना समझा जाता है।
5.सेंसर में होती है हलचल
प्लेन में मोबाइल के आॅन होने एवं उसे एरोप्लेन मोड पर न डालने से मोबाइल की फ्रीक्वन्सी प्लेन में लगे सेंसर में हलचल पैदा करती है। इसके अलावा ये प्लेन में संपर्क करने वाले अहम हिस्से को भी प्रभावित करता है। इसके चलते ट्रांसमिशन प्लेन के साथ—साथ मोबाइल के भी सिग्नल पकड़ने लगता है। ऐसा होने पर विमान गलत दिशा में जाने लगता है।
प्लेन में मोबाइल के आॅन होने एवं उसे एरोप्लेन मोड पर न डालने से मोबाइल की फ्रीक्वन्सी प्लेन में लगे सेंसर में हलचल पैदा करती है। इसके अलावा ये प्लेन में संपर्क करने वाले अहम हिस्से को भी प्रभावित करता है। इसके चलते ट्रांसमिशन प्लेन के साथ—साथ मोबाइल के भी सिग्नल पकड़ने लगता है। ऐसा होने पर विमान गलत दिशा में जाने लगता है।