जबलपुरPublished: Mar 13, 2019 08:30:31 pm
shyam bihari
जबलपुर शहर से रोजगार के लिए पलायन कर रहे युवा
युवा हमेशा दृढ़ निश्चय के साथ करें तैयारी मिलेंगी सफलता – पीएन शर्मा
जबलपुर। करीब 15 लाख की आबादी वाला जबलपुर शहर रोजगार के मामले कैसा है, इसका अंदाजा सरकार की एक नई योजना में उमड़ी भीड़ देखकर लगा सकते हैं। युवाओं को स्वाभिमान योजना के नाम पर स्टायपंड मुहैया कराने के लिए निगम मुख्यालय में पंजीयन शुरू हुआ, तो बेरोजगारों का मेला लग गया। ऐसी भीड़ कि सम्भालना मुश्किल हो गया। जबकि, स्टायपंड भी कुछ हजार ही मिलना है। जिस शहर में एमबीए, एमटेक, पीएचडीधारी रोजगार मेले में चक्कर काटें। बड़ी कंपनियां आने से बचें। उर्वरक कारखाना खोलने का सिर्फ सपना दिखाया जाए। गारमेंट पार्क शुरू करने के लिए हवाई दावा किया जाए। वहां के युवाओं के सीने में राजनीतिक गुस्सा नहीं दिखना चौंकाता है। बेरोजगार युवा शहर से पलायन करने को मजबूर हैं। लेकिन, जिम्मेदारों से आंख मिलाकर यह नहीं पूछते कि उनके लिए कुछ क्यों नहीं हो रहा?
रोजगार मेलों में बड़े पैकेज की नौकरियां दिलाने की बात कही जाती हैं। लेकिन, ढंग की नौकरियां हाथ नहीं लगतीं। आवेदन करके थक जाओ, लोन नहीं मिलता। काम है नहीं। खर्चे हजार हंैं। शिक्षण संस्थानों की भरमार है। क्वालिटी एजूकेशन गायब है। उच्च डिग्रीधारियों की भरमार है। अच्छी कंपनियों का अकाल है। भीड़ बढ़ रही है। पैसा कुछ लोगों तक सिमटता जा रहा है। इसका फायदा नेतागीरी करने वाले उठा रहे हैं। वे युवाओं को भीड़ का हिस्सा बनाते हैं। चुनावी नारे लगवाते हैं। उन्हें खुशफहमी में रखते हैं। लेकिन, यह नहीं बताते कि काम क्या करें? समझदार युवा बाहर चले जाते हैं। बिगड़ैल युवा चौराहेबाजी करने लगते हैं। चौराहेबाजी कब अपराध की दुनिया बन जाती है, पता नहीं चलता।
इन हालातों में युवाओं को ही मोर्चा सम्भालना होगा। वे नेताओं की अगवानी करें। सभाओं में हिस्सेदारी करें। जनहित के मुद्दों पर धरना-प्रदर्शन करें। यह उनका अधिकार है। उनका राजनीतिक फर्ज भी है। लेकिन, उनके सीने में बेरोजगारी के दर्द की चिंगारी सुलगनी जरूर चाहिए। चेहरे पर अपना हक नहीं पाने का गुस्सा उबलना चाहिए। जिम्मेदारों को अहसास कराना चाहिए कि युवा क्रांति का हिस्सा बन सकतंा है। मौका आने पर क्रांति कर सकता है। यह पता चलना चाहिए कि युवाओं का गुस्सा फूटे, तो हाहाकार मचता है। सरकारें बनने-बिगडऩे में देर नहीं लगती।