फेयलर कहते हैं कि आज माता-पिता की भूमिका इतनी चुनौतिपूर्ण हो गई है कि वे अपने बच्चों के साथ कदम मिलाकर नहीं चल पा रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि उनके पास अपने दोस्तों के रूप में एक ऐसा बैकअप हो कठिन परिस्थितियों में उनके बच्चों को माता-पिता की ही तरह समझा सकें। ऐसे लोग बच्चों और माता-पिता के बीच पुल का काम करते हैं। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं माता-पिता के अलावा इन वयस्क दोस्तों का महत्व भी बढ़ता जाता है। क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और किशोरों के लिए काम करने वाली डॉक्टर लीसा डामोर कहती हैं कि युवाओं के लिए जरूरी है कि वे ऐसे लोगों के साथ सलाह-मशवरा करे जो उसके माता-पिता न हों लेकिन उसे अभिभावाकों की ही तरह समझ सकें। अपनी किताब ‘UNDER PRESSUR ‘ में उन्होंने कहा है कि बच्चों को ऐसा सपोर्ट शिक्षकों के साथ परिवार के अन्य सदस्यों और फैमिली फे्रंड से भी मिल सकता है। माता-पिता को भी इन रिश्तों का स्वागत करना चाहिए। दोनों के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं होती है।
माता-पिता भी इस बात को जानते हैं कि उनकी सलाह कितनी भी अच्छी क्यों न हो सामान्य तौर पर किशोर इसे अस्वीकार कर देते हैं। इसलिए अभिभावकों के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे अन्य वयस्कों का नेटवर्क बनाएं जो उनकी बात को एक दोस्त के रूप में उनके बच्चों के सामने रखें। अधिकांश वयस्क (ADULTS) आपके बच्चे के जीवन में एक MENTOR की भूमिका निभाने में प्रसन्न होंगे क्योंकि आधुनिक जीवन की सभी अव्यवस्थाओं के बावजूद, हम अन्य लोगों के बच्चों की देखभाल करने के लिए तैयार हैं। इससे उन्हें भी खुशी मिलती है क्योंकि वे अपने किशोरवय जीवन के मुद्दों को सुलझाने में उनकी मदद पर भरोसा करते हैं। यह भरोसा बच्चों को एक संवेदनशील नागरिक बनने में मदद करता है, वहीं अभिभावकों की चिंता को भी दूर करता है।
हालांकि पैरेंटिंग विलेज की यह अवधारणा हाल के वर्षों में खो-सी गई है। लेकिन इसे छोटे-छोटे प्रयासों से फिर से व्यवहार में लाया जा सकता है। कई एकल माता-पिता और सिंगल मदर (SINGLE MOTHER ) या फादर भी हैं जो आपके बच्चों के लिए ‘एलोपैरेंट्स’ की भूमिका निभा सकते हैं। इससे बच्चे में नई रुचियां, जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में उदार दृष्टिकोण और जटिल हालातों का सामना करने में समर्थ बनाता है। याद रखें कि आपके बच्चे के जीवन में जो वयस्क दोस्त हैं वे कोई भी हो सकते हैं बशर्ते अगर आप औरों पर भरोसा करें।