हम ऐसे संकल्प करते हैं जो वास्तव में हम करना ही नहीं चाहते। हम परिवार का साथ चाहते हैं लेकिन यह करने की बजाय हम जिम में पसीना बहा रहे होते हैं। ऐसे संकल्प कुछ दिनों में ही बोझ लगने लगते हें और हम प्रयास छोड़कर फिर से पुराने ढर्रे पर लौट आते हैं।
इसलिए ज्यादातर लोगों पूरे नहीं कर पाते अपने रिजोल्यूशन
हाल ही सर्वे संस्था ‘यूगोव’ के ताजा अध्ययन में सामने आया कि 2019 के लिए जो संकल्प (रेजोल्यूशन) लिए गए उनमें व्यायाम, वजन कम करना, खान-पान की स्वस्थ आदतें और बचत जैसे संकल्प सबसे कॉमन थे। पेंसिल्वेनिया स्थित स्क्रैंटन विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिकों ने अपने एक शोध में पाया कि नए साल पर लिए गए 29 फीसदी संकल्प एक से दो सप्ताह में ही विफल हो जाते हैं। ऐसे ही एक महीने के बाद 36 फीसदी और तीन महीने के अंतराल में हमारे 50 फीसदी संकल्प हवा हो जाते हैं।
दरअसल ज्यादातर लोग यह जानते ही नहीं कि वे संकल्प क्यों ले रहे हैं? हम खुश रहना चाहते हैं, लेकिन हम बाधाओं पर ध्यान देते हैं उसके असल कारण पर नहीं। पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक मार्टिन सेलिगमैन कहते हैं कि अपनी बुरी आदतों के साथ भी लोग खुश रह सकते हैं। सकारात्मक सोच, काम को पूरा करने की लगन, मजबूत रिश्ते और जिम्मेदारी निभाने जैसे प्रयास वास्तव में हमें सच्ची खुशियां देते हैं।
काम पूरा करने की बजाय रोज नया सीखें दरअसल हम खुद से ऐसे संकल्प करते हैं जो वास्तव में हम करना ही नहीं चाहते। ऐसे संकल्प कुछ दिनों में ही बोझ लगने लगते हैं। खुश रहने का राज यही है कि उसकी तलाश ही अपने आप में एक सुखद एहसास है। काम पूरा करने को अपना संकल्प न बनाएं बल्कि उसी काम से रोज क्या नया सीख सकते हैं इसे अपनी आदत बनाएं। इन तरीकों से आपमें सफलता पाने की लालसा बढ़ेगी। खुश रहना असल में इतना भी मुश्किल नहीं है।