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हमारी यादों की खिड़की से ज्यादा देर तक क्यों नहीं झांक पातीं अच्छी घटनाएं

locationजयपुरPublished: Nov 13, 2019 05:59:45 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

-अध्ययन बताते हैं कि हम दुखद घटनाओं को ज्यादा समय तक याद रखते हैं-स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान की प्रोफेसर डॉ. लौरा कार्सटेंसेन का कहना है कि हमारा दिमाग अच्छी बातों की बजाय नकारात्मक चीजों को जल्दी नोटिस करता है। वहीं कुछ लोगों का तर्क है कि यह हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में पूर्वानुमान कराता है। कड़वे अनुभव हमें परिपक्व और बुद्धिमान बनाते हैं।

हमारी यादों की खिड़की से ज्यादा देर तक क्यों नहीं झांक पातीं अच्छी घटनाएं

हमारी यादों की खिड़की से ज्यादा देर तक क्यों नहीं झांक पातीं अच्छी घटनाएं

हम अक्सर जिंदगी के बुरे हादसों और निर्णयों को ताउम्र याद रखते हैं लेकिन इस दौरान होने वाली छोटी-बड़ी खुशियों को उतनी देर तक याद नहीं रख पाते। ऐसा क्यों? हम हमेशा नकारात्मक और दुखद बातों की ओर ही ध्यान क्यों देते हैं? अध्ययन बताते हैं कि इंसानी दिमाग नकारात्मक बातों को अच्छी और सकारात्मक घटनाओं के मुकाबले ज्यादा देर तक याद रख पाता है। डॉ. लौरा कार्सटेंसेन का कहना है कि इससे हमें भविष्य में होने वाली अनहोनी का अंदाजा हो जाता है इसलिए हम ऐसी घटनाआें को ज्यादा देर तक याद रख पाते हैं। डॉ. लौरा को बढ़ती उम्र पर शोध करने के लिए जाना जाता है। इनके मुताबिक किसी व्यक्ति के लिए उम्र का 20 से 30 साल के दौरान का समय सबसे ज्यादा भावनात्मक उतार-चढ़ाव से भरा होता है। इससे युवा सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
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मानसिक रूप से मजबूत बनाता है
कई मनोवैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि यह हमें कहीं न कहीं मानसिक रूप से मजबूत बनाता है। प्रो. लौरा का कहना है कि नकारात्मक चीजों पर तुरंत ध्यान देने की हमारी आदत इसलिए भी है कि क्योंकि हमारा दिमाग इसके लिए अभ्यस्त है। वे कहती हैं कि मुश्किल या खतरनाक स्थितियों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। ऐसे ही किसी अन्य अवसर पर समान स्थितियों या चुनौती के समय हमारा दिमाग इसी जानकारी का इस्तेमाल समाधान के लिए करता है। इसके अलावा उम्र भी एक सीमा तक नतीजों और विचारों को प्रभावित करती है।
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कम लोग बता पाए मीठी यादें
एक सर्वे में जब पाठकों से उनके जीवन की सबसे प्रभावी घटना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने दुखद अनुभवों और कठिन हालातों के बारे में बताया। हालांकि कुछ लोगों ने जीवन की मीठी यादों को भी शेयर किया था। लेकिन ज्यादातर वे थे जिन्होंने अपने जीवन की सबसे कठिन परिस्थितियों और घटनाओं को ही याद किया।
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युवाओं पर होता है ज्यादा असर
एक अध्ययन में लौरा ने पाया कि नकारात्मक अनुभवों का प्रभाव युवाओं पर ज्यादा होता है। युवाओं में ऐसी नकारात्मक परिस्थितियों का सामना करने से परिपक्वता आती है। वे नतीजों से सबक लेकर जीवन के सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित कर पाते हैं जो उन्हें खुश रहने में मदद करता है। इसलिए युवा खराब चीजों पर अधिक ध्यान देते हैं।
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हावी न होने दें
डॉ. लौरा के मुताबिक जब हम अपनी जिंदगी की किसी यादगार घटना का जिक्र करते हैं तो हम अपनी यादों को नए सिरे से सजाते-संवारते हैं। इतना ही नहीं समय के साथ हम इसे लेकर पहले से ज्यादा आत्मविश्वासी हो जाते हैं क्योंकि अब हमें इसका डर नहीं होता। यादें हमारे उद्देश्य को प्रभावित करती हैं। तब भी जब हम इससे छुटकारा पाना चाहते हों। इसलिए इन नकारात्मक यादों और घटनाओं को अपने पर हावी न होने दें।
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