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Women’s Day: आंख मारना लड़कों की बपौती है क्‍या?

locationनई दिल्लीPublished: Mar 08, 2018 08:29:43 am

Submitted by:

Dhirendra

इस बहस के केन्‍द्र में अहम सवाल यह है कि क्‍या आंख मारना लड़कों की बपौती है या पुरुषवादी मानसिकता में बदलाव नहीं होने का प्रतीक

नई दिल्ली: आंख मारना कोई नई बात नहीं है, लेकिन एक लड़की का एक फिल्‍म में एक लड़के को आंख मारने की घटना ने इसे दुनिया भर में बहस का विषय बना दिया है। इस बहस के केन्‍द्र में अहम सवाल यह है कि क्‍या आंख मारना लड़कों की बपौती है या पुरुषवादी मानसिकता में बदलाव नहीं होने का प्रतीक ।
वैलेंटाइन डे पर फिल्म रिलीज होना बना विवाद का कारण
दरअसल यह बहस मलयालम एक्ट्रेस प्रिया प्रकाश वॉरियर की डेब्‍यू फिल्‍म ओरू अदार लव से शुरू हुई। वैलेंटाइन डे के अवसर पर फिल्‍म का टीजर रिलीज किया गया था। इस टीजर में अभिनेत्री प्रिया और उनके को-स्‍टार मोहम्‍मद रोशन की कैमिस्‍ट्री की झलक दिखाई गई है। इस टीजर में दोनों स्‍टार्स को क्‍लासरूम के अंदर इशारों-ही इशारों में रोमांस करता दिखाया गया है , जिसमें प्रिया की नजाकत भरी आंख मारने की कला ने दुनिया भर के युवाओं का दिल लूट लिया। और यहीं से यह विवाद शुरू हो गया कि क्‍या लड़कियां भी इस तरह से खुलेआम आंख मार सकती है। 26 सेकेंट की इस घटना के प्रभाव का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि करीब पांच करोड़ लोग यू-ट्यूब पर उसे देख चुके हैं। एक मुस्लिम संगठन व निजी तौर पर भी कुछ लोगों ने एफआईआर दर्ज कराई और प्रिया को गिरफ्तारी से बचने के लिए अदालत की शरण लेनी पड़ी।
आंख मारना आक्रामक संकेत
यह स्थिति इसलिए उत्‍पन्‍न हुई है कि चीन और भारत सहित एशियाई मुल्‍कों में आंख मारने की घटना को एक आक्रामक संकेत के रूप में देखा जाता है। इसका इस्तेमाल अमूमन निजी मजाक व धूर्त संकेत में रूप में किया जाता है। आंख मारते वक्‍त इस बात का भी ध्‍यान रखा जाता है कि आसपास के लेाग इस बात को भांप नहीं सकें। खासतौर से समाज में महिलाएं और लड़कियों को इस तरह की हरकतों से बचने की सीख देने की परंपरा रही है। पश्चिमी देशों में भी इसे मजाक या किसी के झूठ बोलने या यौन इरादे से संवाद करने का सांकेतिक जरिया माना जाता है। अफ्रीकी देशों में अभिभावक ऐसा करने से पहले बच्चों व महिलाओं को परहेज करने को कहते हैं। यानि एक तरह से लड़कियां ऐसा न करें जैसी परंपरा हर जगह रही हैा
फॉलोइंग टेंडेंसी का परिणाम
मनौवैज्ञानिकों का कहना है कि लोग प्रिया की आंख मारने की नजाकत को उसी नजरिए देख रहे हैं जैसाकि वो अभी तक देखते आए हैं। सोशल मीडिया पर यह वायरल फॉलोइंग टेंडेंसी की वजह से होता है। लोग देखादेखी उसे लाइक या फिर शेयर करने लग जाते हैं। प्रिया भी इस सोच का शिकार हुई है। क्‍योंकि टीजर में जिस तरह से आंख मारने की घटना को फिल्‍माया गया है उसे आज भी अधिकांश लोग सहज तरीके से स्‍वीकार करने के लिए मानसिक तौर पर तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि इस बात को लेकर इतना बबाल मचा हुआ है।
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