किस तरह का प्रोग्राम है
जर्मन अनुवादक के रूप में काम करने वाले झांग ने बताया कि यहां आने से उनका रक्तचाप और हाइपरटेंशन कम हो जाता है। मंदिर में वर्कहोलिक चीनी नागरिकों के लिए खास कार्यक्रम बनाया गया है। लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को विचारमुक्त कर भागदौड़ भरी जिंदगी से विराम लेते हुए शरीर को धीमा करना सिखाया जाता है। झांग के अनुसार इस मुद्रा में हम जीवन के गहरे अर्थ को खोजने का प्रयास करते हैं कि जीवन के लिए कम्प्यूटर स्क्रीन, मोबाइल, एक्सल शीट और बोर्ड मीटिंग्स से भी ज्यादा अन्य बातें भी जरूरी है।
सप्ताह में 98 घंटे करते काम
बीते तीन दशकों में चीन बहुत तेजी से एक कृषि प्रधान देश से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। लेकिन इस बाजारवाद और प्रतिस्पर्धी वातावरण ने लोगों से उनका समय छीन लिया है। शहरों के साथ उच्च मध्यम वर्ग परिवारों की ऊंची महत्त्वकांक्षाओं के बीच साधारण जीवन और सोच विलुप्त हो गई है। इस शहर की आबादी 40 करोड़ से ज्यादा हो गई है। लेकिन अब चीनी अर्थव्यवस्था ढलान पर है। 6 फीसदी से कुछ ज्यादा की वर्तमान तिमाही वृद्धि दर अब तक की सबसे कमजोर दर है। नई तकनीकी अर्थव्यवस्था, अमरीका से व्यापार युद्ध और देश को आने वाले सालों में अमरीका से आगे दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के मकसद से सरकार ने लोगों को जयादा से ज्यादा काम करने का दबाव बनाया हुआ है।
आम लोगों को सिखाते संस्कृत
लिंगयिन मंदिर में सार्वजनिक रूप से आमजन को बौद्ध धर्म की शिक्षा, बौद्ध भिक्षुओं को प्रशिक्षण और संस्कृत की शिक्षा दी जाती है। इतना ही नहीं यह मंदिर एक पर्यटन स्थल भी है। मंदिर के उप-मठाधीश जून हेंग का कहना है कि यहां आने वाले वे लोग हैं जो उदासी या अवसाद के शिकार हैं। संस्कृत के सुविधा और स्वयं से मुक्ति जैसे वाक्य विचार को मंदारिन ने अपनाया है। चीनी विदेश मंत्रालय के पसंदीदा वाक्यांशों में से एक ‘वांग जियांग’ संस्कृत के शब्द विकल्प से आता है वह बौद्ध सूत्रों में भी पाया जाता है।