scriptभगवा नायक- 3.0 | Yogi Adityanath is representing BJP as a new Hindutva face | Patrika News

भगवा नायक- 3.0

locationनई दिल्लीPublished: Oct 09, 2017 05:35:42 pm

Submitted by:

Mukesh Kejariwal

क्या योगी आदित्यनाथ के रूप में भाजपा को अडवाणी और मोदी के बाद कट्टर हिंदुत्व का तीसरा संस्करण मिल गया है?

Yogi Adityanath is representing BJP as a new Hindutva face

Yogi Adityanath is representing BJP as a new Hindutva face

विकास के मोदी सरकार के दावों पर सवाल गंभीर हो रहे हैं। ऐसे में सरकार कड़वी दवाओं की खुराक अचानक कम करने को मजबूर तो हो ही रही है। शायद इसी मजबूरी में अब वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर नए नायक भी तराशे जा रहे हैं। विकास के विकल्प के तौर पर भगवा-राष्ट्रवाद के नायक ही मददगार हो सकते हैं। भगवा चोले में रहने वाले देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ इस भूमिका में काफी फिट बैठते हैं। इस तरह वे आडवाणी और मोदी के बाद भगवा नेतृत्व का तीसरा महत्वपूर्ण संस्करण हो सकते हैं।
Yogi Adityanath is representing BJP as a new Hindutva face
IMAGE CREDIT: Google
लांचिंग केरल से
भाजपा और पूरे संघ परिवार के लिए केरल में अपनी जड़ें जमाना ना सिर्फ सबसे बड़ी चुनौती है, बल्कि नाक का सवाल भी बना हुआ है। विकास के कई पैमानों पर अव्वल नंबर पर मौजूद केरल में विरोधियों पर हावी होने के लिए भाजपा के सामने भगवा-राष्ट्रवाद ही सबसे हिट फार्मूला हो सकता है। ऐसे में बिना किसी देरी के यहां योगी को लांच कर दिया गया है।
तेज विस्तार की योजना
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि योगी को सिर्फ केरल तक ही सीमित नहीं रखा जाएगा। पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्य और उसमें भी विशेष कर त्रिपुरा में उनका जम कर उपयोग किया जाना है। इन विशेष जरूरत वाले राज्यों के अलावा पार्टी पूरे देश में उनकी छवि का उपयोग करेगी। चुनावी राज्यों गुजरात और हिमाचल प्रदेश में उनके दौरे का कार्यक्रम तैयार भी हो चुका है।
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क्यों बन रहे पोस्टर बॉय
योगी को हिंदुत्व के नए नायक के तौर पर ना सिर्फ पार्टी नेतृत्व से बल्कि इसके समर्थकों में भी तेजी से स्वीकृति मिल रही है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं चुनावी राज्यों में मोदी और अमित शाह के बाद योगी की ही मांग सबसे ज्यादा है। हालांकि इसके पीछे वे वजह बताते हैं, ‘वे देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री हैं और वहां उन्होंने जिस तेजी से भय, भ्रष्टाचार और अपराध पर लगाम लगाई हैए उससे देश भर में लोग उनके फैन हैं।’
प्रधानमंत्री मोदी की ही तरह उन्होंने भी अपने किसी बयान के लिए अब तक माफी नहीं मांगी है। ना ही उन्हें अपनी कट्टर छवि से कोई परहेज है। 22 साल की उम्र में संन्यास ले चुके गोरक्षधाम के पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री रहते हुए भी अपनी इस भूमिका को पूरी गंभीरता से पूरा करते हैं। सोशल मीडिया पर अब भी उनके ऐसे तमाम भाषण और बयान मौजूद हैं। जिनमें वे खास तौर पर एक संप्रदाय के खिलाफ काफी कुछ बोलते हुए देखे जा सकते हैं। गोरखपुर के अली नगर का आर्य नगर और मियां बाजार का माया बाजार नामकरण वे अपनी उपलब्धि बताते हैं। ये वो कारण हैं, जो उन्हें आडवाणी और मोदी के बाद तीसरे बड़े भगवा-नायक के तौर पर स्थापित करने में बड़े मददगार साबित होते हैं। वे उत्तर प्रदेश में वे हिंदू लड़कियों के मुस्लिम लडक़ों से शादी का तो जोरदार विरोध करते ही रहे हैं, केरल में भी उन्होंने लव जिहाद का मामला जोरदार तरीके से उठाया और राज्य सरकार को जिहाद आतंकवाद को बढ़ावा देने का दोषी भी ठहराया है। अब हिंदुत्व की पुरानी प्रयोगशाला और मोदी के गढ़ गुजरात में भी वे इन बातों को दुहरा सकते हैं।
भुलाए जा रहे सुशासन वाले
बात सुशासन की होती तो भाजपा के पास कई ऐसे नेता हैं, जिनको विकास के लिए बेहतर जाना जाता है। पार्टी में शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह जैसे नेता हैं जो चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए मैदान में उतरने वाले हैं। इसी तरह केंद्र में भी कई ऐसे कद्दावर नेता हैंए जिनकी पहचान देश भर में है। उधर, योगी भले ही भगवा नेता के तौर पर देश भर में अपने झंडे गाड़ रहे हों, लेकिन अपने राज्य में ही कानून-व्यवस्था से लेकर स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर उनकी सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है।
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