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बैंगलोर

1000 से अधिक फिल्मों की शूटिंग का गवाह रहा स्टूडियो जमींदोज

इतिहास बना मैसूरु का प्रीमियर स्टूडियो, अब इसकी जगह बनेगा अपार्टमेंट

बैंगलोरSep 23, 2018 / 07:31 pm

Ram Naresh Gautam

studio

1000 से अधिक फिल्मों की शूटिंग का गवाह रहा स्टूडियो जमींदोज

मैसूरु. महलों के शहर मैसूरु का मशहूर प्रीमियर स्टूडियो अब अतीत का हिस्सा बन गया है। विभिन्न भाषाओं की करीब एक हजार फिल्मों की शूटिंग का इतिहास संजोए और एशिया के दूसरे सबसे बड़े फिल्म स्टूडियो के रूप में पहचान बनाने वाले प्रीमियर स्टूडियो की इमारत को जमींदोज करने का काम शुरू हो गया है।
शहर के हुंसूर रोड पर स्थित प्रीमियर स्टूडियो की ख्याति न सिर्फ कन्नड़ सिनेमा जगत के बीच थी बल्कि हिन्दी, तमिल, तेलुगू और अंग्रेजी भाषा की फिल्मों शूटिंग का यह प्रमुख केन्द्र था लेकिन अब लाइट, कैमरा, साउंड और एक्शन की गंूज सदा के लिए शांत हो गई। इस स्टूडियों में कन्नड़ फिल्म अभिनेता डॉ राजकुमार, विष्णुवर्धन, अंबरीश, अनंतनाग, शंकर नाग, तमिल फिल्मों के शिवाजी गणेशन, एमजी रामचंद्रन, जयललिता, श्रीदेवी तथा रजनीकांत की कई फिल्मों शूटिंग हुई थी।
अभिनेता विष्णुवर्धन की पहली फिल्म ‘वंशवृक्षा’ तथा ‘नागरहावू’ फिल्म की शूटिंग इसी स्टुडियो में हुई थी। हिंदी फिल्म अभिनेता शाहरुख खान तथा दिव्या भारती की ‘दीवाना’ फिल्म की शुटिंग भी इसी स्टूडियो में हुई थी। श्रीदेवी की पहली फिल्म यशोदा-कृष्ण की शूटिंग का इतिहास भी इसी स्टूडियों से जुड़ा है।
दस एकड़ भूमि पर सात मंजिला प्रीमियर स्टूडियो हर प्रकार की शूटिंग और फिल्म निर्माण सुविधा से संपन्न था। यहां पर एडिटिंग, डेवलपिंग, साउंड रिकार्डिंग जैसी तमाम सुविधाएं उपलब्ध होने से एक साथ सात से आठ फिल्मों की शूटिंग चलती थी। वर्ष-1964 तक सिर्फ कन्नड़ फिल्मों की शूटिंग होती थी जबकि बाद में अन्य भाषाओं की फिल्मों की शूटिंग होने लगी। बसवराज के पुत्र एमबी नागकुमार का कहना है कि अब फिल्मों की शूटिंग का ट्रेंड बदल गया है जिस कारण प्रीमियर स्टूडियो में नाम मात्र शूटिंग होती थी। इस कारण स्टूडियो का रखरखाव करना असंभवन हो गया था। परिवार ने अब स्टूडियो की इमारत को ध्वस्त कर यहां एक बहुमंजिला अपार्टमेंट निर्मित करने का फैसला किया है।

टीपू सुल्तान की शूटिंग में हुई थी 60 मौतें
लोकप्रिय टीवी धारावाहिक ‘दि शोर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ की शूटिंग भी प्रीमियर स्टूडियो में हुई थी। वर्ष-1989 में धारावाहिक की शूटिंग के दौरान स्टूडियो में आग लग गई थी जिससे अभिनेता सह निर्देशक संजय खान बुरी तरह से झुलस गए थे जबकि हादसे में 60 लोगों की झुलसकर मौत हो गई थी। इस घटना के कारण स्टूडियो कई दिनों तक पूरे देश में चर्चा का केन्द्र बना रहा था।

1954 में हुआ था स्टूडियो का निर्माण
बसवराज द्वारा वर्ष 1954 में निर्मित इस स्टूडियों में विभिन्न भाषाओं की 1 हजार से अधिक फिल्मों की शूटिंग की गई है। हाल में प्रदर्शित मुख्यमंत्री एच.डी.कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी अभिनीत ‘जगुवारÓ फिल्म के कुछ हिस्सों की शूटिंग भी इसी स्टूडियो में हुई थी जो इस स्टूडियो में शूटिंग की गई अंतिम फिल्म रही। वर्ष 1960 से 1980 के बीच का समय इस स्टूडियो के लिए स्पर्णिम काल रहा। उस दौरान मुख्य रूप से अधिकांश कन्नड़ फिल्मों की 70 फीसदी इंडोर शूटिंग का एक मात्र ठिकाना प्रीमियर स्टूडियो था।
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