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मोहन बागान फुटबॉल क्लब जितना ही पुराना है जयपुर का यह फुटबॉल क्लब

Published: Jun 16, 2016 08:40:00 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

इतना तो सभी जानते है कि कोलकाता का मोहन बागान फुटबॉल क्लब भारत का सबसे पुराना फुटबॉल क्लब है। 15 अगस्त 1889 में स्थापित मोहन बागान को करीब 126 साल गुजर गए, लेकिन आज भी उसने अपनी पहचान और चमक वैसी की वैसी ही बरकरार रखी।

jaipur Union Football Club

jaipur Union Football Club

 इतना तो सभी जानते है कि कोलकाता का मोहन बागान फुटबॉल क्लब भारत का सबसे पुराना फुटबॉल क्लब है। 15 अगस्त 1889 में स्थापित मोहन बागान को करीब 126 साल गुजर गए, लेकिन आज भी उसने अपनी पहचान और चमक वैसी की वैसी ही बरकरार रखी। लेकिन क्या आप यह जानते है कि देश में एक ओर फुटबॉल क्लब है जो इतना ही पुराना है। शायद नहीं, लेकिन जयपुर का यह यूनियन फुटबॉल क्लब भी 126 साल ही पुराना है। लेकिन ये अपनी पुरानी चमक बरकरार नहीं रख सका और कागज के पन्नो में कहीं गुम हो गया। 
इसके बावजूद क्लब के मैदान पर लगे गोल पोस्ट अपना इतिहास बयां करते है। लेकिन संरक्षण और सरकार की बेरूखी के चलते यह मैदान पार्क में तब्दील होने लग गया था। एक समय यहां पर कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी खेलते थे। कई बड़ी प्रतियोगिताओं का गवाह बना यहीं नहीं 1980 के बाद यहां कोई बड़ी प्रतियोगिता भी नहीं हुई।
द्वितीय विश्व युद्ध के कैदीयों ने भी खेला यहां मैच

जयपुर के रामनिवास बाग में जहां आज लोग आराम फरमाते नजर आते है, वहां एक समय द्वितीय विश्व युद्ध के कैदी मैच खेलते थे। युद्ध के दौरान इटली के कैदियों को जयपुर की जेल में रखा गया। इनमें से अधिकतर कैदी फुटबॉल के शौकीन थे और इनकी एक टीम भी थी। जानक ारों ने बताया कि कैदी इस क्लब के खिलाडिय़ों के साथ फुटबॉल खेलना पसंद करते थे। यही नहीं इस मैदान पर भारत दौर पर आई कई विदेशी टीमों ने भी मैच खेला।
राष्ट्रीय स्तर की हुई थी प्रतियोगिताएं 

यूनियन क्लब के सचिव महीपाल स्वामी ने बताया कि इस मैदान पर अखिल भारतीय फुटबॉल, सरदार पटेल फुटबॉल कप जैसे कई बड़े टूर्नामेंट हुए। जिसमें देश की बेहतरीन टीमों ने हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि उस जमाने में जयपुर के लोगो में फुटबॉल का इतना अधिक क्रेज था कि यहां पर सहीं से बैठने की व्यवस्था नहीं होने के बावजूद भी लोग नीचे बैठकर मैच का आनंद उठाते हुए थे। 
1889 में हुआ स्थापित

जानकारों ने अनुसार यह क्लब 1889 में रामनवमीं के दिन स्थापित हुआ। उस समय राजपरिवार ने यह जगह फुटबॉल के लिए क्लब को दी थी। लेकिन देश आजाद होने के बाद 19951 में पीडब्ल्यूडी ने इस मैदान को वापस अलॉट किया।
देश विभाजन में टीम के भी हो गए थे टुकड़े

महीपाल ने बताया कि देश आजाद होने वक्त टीम के भी टुकड़े हो गए थे। टीम के कुछ सदस्य तो यहीं रहे, लेकिन अधिकतर पाकिस्तान चले गए। जिसके बाद नए सिरे से टीम बनानी पड़ी। लेकिन फिर भी वे पाकिस्तान जाने के बाद यहां मैत्री मैच खेलने के लिए आते रहे। 
इंटरनेट पर भी नहीं इसकी कोई जानकारी

यदि आप इस मैदान की कोई जानकारी इंटरनेट पर भी खोजेंगे तो वहां पर भी इसकी कोई जानकारी मौजूद नहीं है।

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