अशोक ध्यानचंद ने कहा कि मुझे खुशी है कि पीएम मोदी ने मेरे पिता को यह सम्मान दिया। पीएम के इस कदम से लोग उनके नाम को हमेशा याद रखेंगे। मुझे लगता है कि खेल से जुड़े सम्मान का नाम किसी दिग्गज खिलाड़ी के नाम से ही जुड़ा होना चाहिए।
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मेजर ध्यानचंद के लिए पूरा देश मांग रहा भारत रत्नअशोक बताते हैं कि झांसी की जनता ही नहीं पूरे देश और हॉकी प्रेमियों की हमेशा से मांग रही है कि मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न दिया जाए। उन्होंने देश को हॉकी और खेल के क्षेत्र में अलग पहचान दिलाई है। इसलिए सरकार की भी जिम्मेदारी है कि वो मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न से सम्मानित करे।
फिर जीवित हो उठा राष्ट्रीय खेल
ओलंपिक में भारत द्वारा 41 साल बाद हॉकी में मेडल जीतने पर अशोक कहते हैं कि 41 साल बाद हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी ओलिंपिक में मेडल जीतकर फिर से जीवित हो उठा है। पुरुष टीम के अलावा महिला टीम ने भी जोरदार प्रदर्शन किया और एक बार फिर से इसे जिंदा कर दिया है।
ओलंपिक में भारत द्वारा 41 साल बाद हॉकी में मेडल जीतने पर अशोक कहते हैं कि 41 साल बाद हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी ओलिंपिक में मेडल जीतकर फिर से जीवित हो उठा है। पुरुष टीम के अलावा महिला टीम ने भी जोरदार प्रदर्शन किया और एक बार फिर से इसे जिंदा कर दिया है।
गौरतलब है कि मेजर ध्यानचंद की बदौलत ही भारत ने 1928, 1932 और 1936 के ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल किए। उस दौरान लोगों को शक हुआ कि उनकी हॉकी में गोद लगा हुआ है। इसके बाद से उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहा जाने लगा।