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झूठे साक्ष्य के आरोप साबित हुए तो ठाकुर जा सकते हैं जेल, बीसीसीआई चीफ की मुश्किल बढ़ीं

Published: Dec 16, 2016 09:33:00 am

Submitted by:

Abhishek Pareek

मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को कहा कि यदि ठाकुर पर अदालत में झूठे साक्ष्य पेश करने के आरोप साबित हो जाते हैं, तो उन्हें जेल जाना पड़ सकता है।

लोढा समिति की सिफारिशों को लेकर जारी विवाद में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को कहा कि यदि ठाकुर पर अदालत में झूठे साक्ष्य पेश करने के आरोप साबित हो जाते हैं, तो उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। 
शीर्ष अदालत ने न्याय मित्र गोपाल सुब्रह्मण्यम की दलीलें सुनने के बाद पहली दृष्टि में अनुराग को इसका दोषी पाया। संभव है कि न्यायालय इससे संबंधित फैसला भी सुनाए। न्यायालय ने न्याय मित्र से पूछा था कि ठाकुर ने इस मामले में झूठ बोला है या नहीं। सुब्रह्मण्यम ने अपने जवाब में कहा कि बीसीसीआई अध्यक्ष ने झूठ बोला है। 



ठाकुर ने ये कहा था हलफनामे में 
ठाकुर ने शीर्ष अदालत में पेश किए गए हलफनामे में कहा था कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के अध्यक्ष शशांक मनोहर से केवल यह कहा था कि इस मामले पर उनका स्टैंड क्या होता जब वह (मनोहर) बीसीसीआई अध्यक्ष थे जबकि मनोहर इस बात से इनकार कर चुके हैं।



एक हफ्ते में प्रशासकों के नाम सुझाए बोर्ड : कोर्ट
शीर्ष अदालत ने कहा, अगर आप झूठे साक्ष्य के आरोपों से बचना चाहते हैं, तो आपको माफी मांगनी चाहिए। आप कोर्ट की सुनवाई में बाधा डाल रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी आपको न्यायालय के फैसले से असहमत होने का अधिकार देती है, उसको लागू होने से रोकने का अधिकार आपके पास नहीं है। उन्होंने बीसीसीआई के वकील कपिल सिब्बल से दो टूक शब्दों में कहा, ‘आपके मुवक्किल (अनुराग ठाकुर) को जेल चले जाना चाहिए।’ सुनवाई के बाद न्यायालय ने बीसीसीआई से कहा कि वह एक हफ्ते में प्रशासकों के पैनल के लिए नाम सुझाये। इस मामले में कई तारीखें आगे बढ़ चुकी हैं और न्यायालय ने अपना अंतिम फैसला नहीं सुनाया है।
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