script

दो बार चोटों ने रोका, इस बार बने साइकिल रेस के सुल्तान

locationजयपुरPublished: Sep 24, 2018 08:45:49 pm

Submitted by:

manish singh

‘जिस काम को आप पसंद करते हैं उसके प्रति पूरी लगन और मेहनत होनी चाहिए’

tour d france, cyclinmg, gerant, toughest, challenge, thomas, america

दो बार चोटों ने रोका, इस बार बने साइकिल रेस के सुल्तान

गेरेंट थॉमस पहले वेल्समैन हैं जिन्होंने 32 साल की उम्र में टूर द फ्रांस साइक्लिंग का खिताब अपने नाम किया है। दलदल भरे दुर्गम रास्तों से गुजरते हुए टूर द फ्रांस रेस को पूरा करने के लिए पेरिस में दाखिल हुए थे। रेस पूरा करने के बाद अपनी बात तक नहीं कह पा रहे थे क्योंकि इनके लिए ये जीत अतुल्य थी। जीत का पूरा श्रेय टीम के स्काई राइडर और चार बार टूर द फ्रांस के चैंपियन रहे क्रिस फ्रोम को दिया गया। इन्हें पूरा विश्वास था कि ये विरोधियों को मैच में हरा देंगे लेकिन तीन हफ्ते इनके लिए पागलपन की तरह गुजरे। पहली बार तब रोए थे जब इनकी शादी हुई। हालांकि इन्हें नहीं पता कि उस दिन हुआ क्या था। रेस पूरा करने के दिन इनके भीतर एक अलग अहसास था जिसने इनकी आंखों में आंसू ला दिए। थॉमस ने 72 माइल्स (करीब 116 किमी.) की दूरी को तीन हफ्तों में पूरा किया। थॉमस ने नीदरलैंड के टॉम ड्यूमोलिन को शिकस्त दी। अब तक पिछली सात टूर द फ्रांस रेस में से छह रेस ब्रिटिश राइडर्स ने अपने नाम की है।

साइक्लिंग के प्रति गजब का समर्पण
साइक्लिंग के प्रति थॉमस का समर्पण और इच्छाशक्ति का कोई सानी नहीं है। 2005 और 2013 में चोटिल होने के बाद भी रेस में भाग लिया क्योंकि साइक्लिंग में जीत हासिल करना इनका सपना था। हालांकि रेस पूरा करने का मौका तो नहीं मिला पर साथियों का उत्साह बढ़ाने के लिए मैच के दौरान साइकिल ट्रैक के इर्द-गिर्द रहते थे और अपना सौ फीसदी देने के लिए साइक्लिस्ट को प्रेरित करते थे। इन्होंने कहा कि मेरी जीत पर लोगों को विश्वास तो नहीं होगा लेकिन सच यही है कि सबसे कठिन रेस को पूर कर मैं चैंपियन बन गया हूं।

पहले अमरीकी जिसने जीता ये खिताब

डेनियल डी वाइस ने ‘द कमबैक’ किताब साइक्लिस्ट ग्रेग लेमॉन्ड पर लिखी है। ग्रेग पहले अमरीकी हैं जिन्होंने टूर द फ्रांस खिताब जीता था। इन्हें किंग ऑफ अमरीकन साइक्लिंग भी कहते हैं। इन्हें दो हजार माइल्स (करीब 3218.88 किमी.) साइकिल चलाने का अनुभव है। 1990 में एक रेस के दौरान इनकी साइकिल एक महिला दर्शक से टकरा गई थी। इन्होंने रेस की फिक्र न करते हुए सबसे पहले रुककर महिला का हाल पूछा। इस हादसे में इनकी अंगुली खिसक गई थी जिसे सही जगह फिक्स करने के बाद रेस को पूरा करने आगे बढ़ पाए थे। किताब में इन्हें कभी न थकने वाला जोशीला एथलीट बताया गया है। तुर्की के जंगल में एक शिकारी ने इन पर गोलियां चलाई, जिसमें बुरी तरह घायल हो गए थे। उस वक्त वहां मौजूद हाइवे पेट्रोलिंग हेलीकॉप्टर से इन्हें अस्पताल पहुंचाया गया था जिससे इनकी जान बच पाई थी।

पूरा शरीर खून से सना था

आठ माह की गर्भवती पत्नी कैथी अस्पताल पहुंची तो इनका शरीर खून से सना था। लगातार खून भी चढ़ाया जा रहा था। इनके शरीर में अब भी 30 गोलियों के छर्रे फंसे हैं जिसमें पांच दिल के आसपास हैं। 1990 में वापसी की और दो मिनट 16 सेकंड के अंतर से खिताब अपने नाम किया। 1994 में जब रिटायर हुए तो ये उस मुकाम पर थे जिसके आसपास कोई नहीं पहुंच सका है।

हमारे सबसे युवा साइक्लिस्ट

एसो एल्बेन 17 साल के हैं और मूल रूप से अंडमान निकोबार के रहने वाले हैं। हाल ही दुनिया के जूनियर स्प्रिंटिंग सर्किट के नंबर वन साइक्लिस्ट बने हैं। एशियन जूनियर ट्रैक साइक्लिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय हैं। इनकी मेहनत को देख इन्हें साइक्लिंग की दुनिया में ऐसा उभरता हुआ सितारा माना जा रहा है जो दुनियाभर में देश का नाम रोशन करेगा। ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना इनका लक्ष्य है।

ट्रेंडिंग वीडियो