क्या असर होगा टेलेस्टर 18 से मैचों पर ? * गेंद में छह पैनल होने से उसकी फ्लाइट स्टैबलिटी बढ़ जाएगी। माना ये भी जा रहा है कि 3डी सतह होने के कारण गेंद को कंट्रोल करना आसान होगा। * काले और सफेद रंग के कारण बॉल टीवी पर साफ-साफ दिखेगा और दर्शकों की आंखों को राहत देगा।
* हवा में काफी देर तक लहराएगी, जिससे इसके गति को परखना आसान नहीं होगा।
-स्विटरजरलैंड के वैज्ञानिकों ने कई प्रयोगों के बाद इस गेंद को खेलने के लिए योग्य माना। इसके आकार को जांचने के लिए प्रयोगशाला में 2,000 से ज्यादा बार बॉल को स्टील की दीवार पर 50 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से मारा गया लेकिन इसका आकार नहीं बदला।
क्यों है अलग यह फुटबॉल
पाकिस्तान के सियालकोट शहर में बनी टेलस्टर-18 गेंद को 12 देशों के 600 से ज्यादा खिलाड़ियों ने टेस्ट किया है । जिसमें क्रिस्टियानो रोनाल्डो, जिनेडिन जिडान और लियोनल मेसी समेत अन्य खिलाड़ी भी शामिल हैं। इस बॉल का इस्तेमाल 2017 फीफा क्लब विश्वकप में अल-जजीरा और रियाल मैड्रिड के बीच हुए सेमीफाइनल मैच में किया गया था। फीफा ने अंडर -20 विश्वकप समेत कई जूनियर टूर्नामेंट में भी पहले इसका टेस्ट ले लिया । स्विटरजरलैंड के वैज्ञानिकों ने कई प्रयोगों के बाद इस गेंद को खेलने के लिए योग्य माना। इसके आकार को जांचने के लिए प्रयोगशाला में 2,000 से ज्यादा बार बॉल को स्टील की दीवार पर 50 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से मारा गया लेकिन इसका आकार नहीं बदला।