तीसरा टेस्ट ड्रा समाप्त होने के बाद अब दोनों टीमें अब 1-1 की बराबरी पर हैं। सीरीज का फैसला अब धर्मशाला में 25 मार्च से होने वाले चौथे और अंतिम टेस्ट से होगा। यदि भारत धर्मशाला में जीतता है तो वह गावस्कर-बार्डर ट्राफी पर कब्जा कर सकेगा लेकिन यदि ऑस्ट्रेलिया जीता या मैच ड्रा करा गया तो गावस्कर-बार्डर ट्राफी उसके कब्जे में रहेगी।
भारत को रांची टेस्ट जीतने की पूरी उम्मीद थी जब उसने सुबह के सत्र में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ को निपटाने के साथ ही लंच तक मेहमान टीम के चार विकेट 83 रन तक गिरा दिए थे। लेकिन मार्श और हैंड्सकोंब ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पांचवें विकेट के लिए 124 रन की बहुमूल्य साझेदारी कर मैच को ड्रा की ओर धकेल दिया।
वर्ष 2010-11 के बाद यह पहला मौका है जब किसी मेहमान टीम ने भारत में पहली पारी में पिछडऩे के बाद मैच ड्रा करा लिया। मैच ड्रा कराने का श्रेय पूरी तरह दो बल्लेबाजों को जाता है जिन्होंने धैर्य और संयम का नमूना पेश करते हुए भारतीय गेंदबाजों को हावी होने से रोक दिया। मार्श ने 197 गेंदें खेलकर 53 रन में सात चौके लगाए जबकि हैंड्सकोंब ने 200 गेंदें खेलकर नाबाद 72 रन में सात चौके लगाए।
मार्श और हैंड्सकोंब के बीच पांचवें विकेट के लिए 124 रन की साझेदारी 62.1 ओवर में बनी। इसी तथ्य से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों बल्लेबाजों ने अपना विकेट बचाए रखने के लिये कितना जबरदस्त संघर्ष किया। भारतीय कप्तान विराट कोहली ने तमाम कोशिशें कीं लेकिन इस साझेदारी को तोडऩे में उन्हें नाकामी हाथ लगी।
लेफ्ट आर्म स्पिनर रवींद्र जडेजा ने 92वें ओवर में जब मार्श को आउट कर इस साझेदारी को तोड़ा तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मार्श का विकेट 187 के स्कोर पर गिरा। दूसरी पारी में अपने पहले विकेट के लिये तरस रहे स्टार ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को तीन रन बाद ही आखिर सफलता हाथ लग गई जब उन्होंने ग्लेन मैक्सवेल (दो) को मुरली विजय के हाथों कैच करा दिया। विजय ने ही मार्श का कैच भी लपका।
मैक्सवेल का विकेट जब गिरा तो ऑस्ट्रेलियाई पारी का 95वां ओवर चल रहा था और 100 ओवर पूरे होते ही दोनों कप्तान ड्रा के लिए सहमत हो गए। यह टेस्ट मैच नाटकीय उतार चढ़ाव से भरपूर रहा जिसमें भारतीय टीम ने अपना दबदबा तो बनाया लेकिन अंतिम दिन के आखिरी दो सत्र में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया की ²ढ़ता में सेंध नहीं लगा पाई।