टोरी नेलसन 41 वर्षीय अमरीकी महिला मुक्केबाज (बॉक्सर) हैं जिनके नाम पिछले आठ साल में लगातार 17 जीत दर्ज करने का कीर्तिमान है। अपने कॅरियर में इन्होंने अब तक कुल 11 वल्र्ड चैंपियनशिप अपने नाम की हैं। अब वे रिटायरमेंट की सोच रही हैं लेकिन रिंग में जब उतरती हैं तो इनके हाथ विरोधी को धूल चटाने के लिए बेताब रहते हैं। इनके मैनेजर जेम्स पोनीटेल हॉगन मैच से पहले इनके हाथों में ताकत भरने के लिए मसल्स को पंप करते हैं। वे अपने कोच क्रेग फ्लैडगर जिन्हे डैडी कहकर बुलाती हैं उनसे चीख-चीख कर कहती हैं कि मेरे हाथों में ताकत भर दो पर उस वक्त ये रिंग में होती हैं इसलिए वह ऐसा नहीं कर सकते हैं लेकिन अपने जोश, जुनून और जज्बे से जीत दर्ज करती हैं।
इनके दोस्त इन्हें चर्ची लेडी कहकर बुलाते हैं। इन्हें अपने बच्चों, परिवार और दोस्तों संग समय बिताना पसंद है। बाइबल भी नियमित पढ़ती हैं। वे कहती हैं कि परिवार, दोस्तों और बाइबल से ही इन्हें ताकत मिलती है जिसकी बदौलत रिंग में अपने विरोधी को चित्त कर पाती हैं। विरोधी खिलाड़ी पर इनके पंच को देख रिंग के बाहर बैठे दर्शकों का कलेजा भी एक वक्त के लिए कांप जाता है।
बॉडी पर शुरू से ही ध्यान
जब ये स्कूल में थीं तब इन्हें बास्केटबॉल खेलना पसंद था। उस वक्त भी इनके भीतर एक गुस्सा दिखता था जो एक खिलाड़ी के भीतर होता है। इनके बॉक्सिंग कॅरियर का शुरुआती दौर बेहद कठिन था। इनके कोच फ्लेजर दिवालिया हो चुके थे। उन्होंने इन्हें गैराज में प्रशिक्षण देना शुरू किया जिसकी बदौलत ये एक सफल बॉक्सर बनीं। इनकी बेटी सिमॉन (19) और बेटा क्यू (22) भी जिम में समय बिताते हैं।
विरोधी के पंच का देती हैं मुंहतोड़ जवाब
रिंग में जाने से पहले जब इनके सहायक कोच वुडसन पहली बार हाथों की एक्सरसाइज करवा रहे थे तब इनका शरीर देख उनके चेहरे पर पसीना आ रहा था और चेहरा पीला पड़ गया था। इनके बाइसेप्स व कट्स देख वे हैरान थे। कंधो पर जब वैसलीन लगा रहे थे तब उसकी चमक और उसपर गुदे टैटू को देख उन्हें याद आया कि नेलसन का उपनाम ‘शो-नफ’ है जो मार्शल आर्ट फिल्म द लास्ट ड्रैगन के एक कलाकार का नाम थ। जब ये 40 की उम्र में थी तब इनकी मां ने सोचा कि इन्हें अब रिटायरमेंट ले लेना चाहिए लेकिन इन्हें अभी रिंग से दूरी बनाने का कोई इरादा नहीं है। इनके दोस्त डगलस कहते हैं कि विरोधी खिलाड़ी इन्हें लगातार अगर दस पंच भी मारे तो भी उसे चित्त करने के लिए आगे बढऩे की कोशिश करती हैं। 2016 में अपने से विशाल और मजबूत एलिसिया नेपोलियन को दस राउंड के मैच में इन्होंने धूल चटाई थी।
देश की उभरती हुई महिला युवा बॉक्सर
साक्षी चौधरी देश की उभरती हुई युवा बॉक्सर हैं जो देश को नई पहचान दिलाने की राह पर अग्रसर हैं। ये मूल रूप से हरियाणा के भिवानी की रहने वाली हैं। सितंबर 2018 में क्रोएशिया के बुडापेस्ट में आयोजित यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप प्रतियोगिता में 57 किलोवर्ग स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा था। साक्षी चर्चा में तब आई थीं जब इन्होंने 2015 में वीमन वल्र्ड चैंपियनशिप में अमरीका की मुक्केबाज यारिसेल रमीरेज को हराया था। ये शुरू से ही फिट और एक्टिव हैं। इनके माता-पिता का सपना है कि बेटी मुक्केबाजी में शानदार प्रदर्शन कर दुनिया के हर खिताब पर कब्जा कर देश का मान बढ़ाएं। इनका सपना देश के लिए अपने शानदार प्रदर्शन से ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर गोल्ड मेडल जीतना है। ये रोजाना तीन से चार घंटे मुक्केबाजी की प्रेक्टिस करने के साथ फिटनेस के लिए जिमिंग और दूसरी एक्सरसाइज करती हैं। खुद प्रेक्टिस करने के साथ दूसरों को भी सिखाती हैं।
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