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Independence Day 2022: आजादी के बाद खेल की दुनिया में भारत का बेमिसाल सफर

Azadi ka Mahotsav: देश को आजाद हुए 75 साल होने जा रहे हैं। इस दौरान भारत ने तरक्की के हर क्षेत्र में अपना झंडा बुलंद किया है। खेलों के क्षेत्र में भी भारत ने खूब नाम कमाया है।
 

Aug 15, 2022 / 08:00 am

Siddharth Rai

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भारत 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। इस मौके पर ‘आजादी का अमृत’ महोत्सव मनाया जा रहा है। आज़ादी के बाद से भारत की तरक्की में खेलों का अपना योगदान रहा है। भारत के खिलाड़ियों ने विश्व में तिरंगा लहराया है। क्रिकेट और हॉकी समेत कई खेलों में भारतीयों ने उपलब्धियां हासिल की हैं। देश की आजादी की वर्षगांठ के इस खास मौके पर पढ़िए खेल से जुड़ी देश की बड़ी उपलब्धियों के बारे में…

1983 का वर्ल्ड कप –
यह भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे सुनहरे पलों में से एक है। कपिल देव की अगुवाई में भारत ने 1983 में इंग्लैंड में वर्ल्डकप जीता था। नौसिखिया टीम के तौर पर इंग्लैंड पहुंची टीम इंडिया ने फाइनल में वेस्टइंडीज़ को मात दी थी। फाइनल मुकाबले में कपिल देव ने विवियन रिचर्ड्स का जो कैच पकड़ा वह ऐतिहासिक रहा। आज भी उस कैच की चर्चा होती है।

ओलंपिक में गोल्ड मेडल-
भारत ने स्वतंत्र देश के तौर पर 1948 के लंदन ओलंपिक में भाग लिया और ना सिर्फ भाग लिया बल्कि जिस देश ने भारत पर सालों तक राज किया उन्हीं की धरती पर फाइनल में उन्हें ही 4-0 से हराकर हॉकी में स्वतंत्र भारत का पहला ओलंपिक मेडल अपने नाम किया। हॉकी टीम ने यह कारनामा किशन लाल की कप्तानी में किया। ओलंपिक में भारत ने आजादी के बाद 1952 और 1956 के ओलंपिक में भी गोल्ड अपने नाम किया था। 1952 के ओलंपिक गेम्स में बलबीर सिंह ने टीम के लिए फाइनल में 5 गोल दागे। बता दें कि ये 5 गोल आज भी एक रिकॉर्ड के रूप में दर्ज है।

मिल्का सिंह का कमाल –
भारत के दिग्गज धावक मिल्का सिंह ने 1958 में कॉमनवेल्थ गेम्स में देश के लिए गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने इस दौरान अद्भुत प्रदर्शन किया था। मिल्खा सिंह पर फिल्म भी बन चुकी है। वहीं हाल ही में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी भारतीय खिलाड़ियों ने कुल 22 गोल्ड मेडल जीते। बर्मिंघम में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत ने कुल 61 मेडल जीते।

पेस और डालमिया का चला सिक्का

यह दौर भारतीय खेल प्रेमियों के लिए उत्सव और गर्व के कई मौके लेकर आया। क्रिकेट में भारत में न सिर्फ डालमिया युग की शुरुआत हुई, बल्कि विश्व क्रिकेट में भी बीसीसीआई की धाक जम गई। दिवंगत जगमोहन डालमिया पहले एशियाई थे जिन्होंने ICC प्रेजिडेंट का पद संभाला। टेनिस में बैकफुट पर रहने वाली भारतीय टीम को लिएंडर पेस और महेश भूपति के रूप में 2 नायाब नगीने मिले। 1996 में अटलांटा ओलिंपिक में पेस ने कांस्य पदक जीता था।

बिंद्रा के सोने ने खत्म कराया इंतजार
यह दशक यूं तो कई लिहाज से महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका स्वर्णिम पल अभिनव बिंद्रा को ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतना ही है। 2008 ओलिंपिक में अभिनव पहले भारतीय बने जिन्हें व्यक्तिगत स्पर्धा में गोल्ड मिला। 2004 एथेंस ओलिंपिक में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने सिल्वर मेडल जीता।

फुटबॉल –
फुटबॉल भले ही आज विदेशों में ज्यादा खेला जाता हो लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब भारत ने एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर फुटबॉल के खेल में अपनी बादशाहत कायम कर दी थी। 1951 के एशियन गेम्स में भारत ने फुटबॉल में गोल्ड मेडल जीता और इस जीत के हीरो थे शाहू मेवालाल। उन्होंने ईरान के खिलाफ फाइनल में 1-0 से मुकाबला जीता बल्कि टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 4 गोल भी किए। इसके साथ ही फुटबॉल में हमने 3 ओलंपिक में हिस्सा लिया था।

2011 वर्ल्ड कप जीत –
यह भारत के लिए एक बड़ा ऐतिहासिक पल था। भारत ने 28 साल बाद वनडे वर्ल्ड कप जीता। मुंबई के वानखेड़े मैदान में महेंद्र सिंह धोनी ने विनिंग सिक्स लगाकर भारत को वर्ल्डकप जिताया। यह सचिन तेंदुलकर का आखिरी क्रिकेट वर्ल्डकप था।

2012 लंदन ओलंपिक में बॉक्सिग में एमसी मैरीकॉम ने देश का गौरव बढ़ाते हुए कांस्य पदक जीता तो वहीं बैडमिंटन में साइना नेहवाल ने भारत की झोली में एक और कांस्य डाला। इसके साथ ही ओलंपिक इतिहास में भारत को पहली बार दो महिला पदक विजेता मिली। वहीं 2016 और 2020 ओलिंपिक में साइना के शहर हैदराबाद की पीवी सिंधु ने बैडमिंटन में सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीत देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।

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