वैसे टूर्नामेंट में भारतीय टीम की शुरुआत बेहद शानदार रही थी. टीम ने अपने पहले मुकाबले में एशियन गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट जापान को एकतरफा मुकाबले में 2-0 से हराया था। हालांकि इसके बाद दूसरे मुकाबले में टीम को कोरिया के खिलाफ संघर्ष करना पड़ा और टीम बमुश्किल हार टाल पाई. यह मुकाबला 1-1 से ड्रॉ रहा था।
कोरिया के खिलाफ तो भारतीय टीम ने भले ही खुद को हार से बचा लिया हो, लेकिन टीम को मलेशिया के खिलाफ किसी भी प्रकार की लापरवाही भारी पड़ सकती है। इसका कारण ये है कि मलेशिया ने अब तक खेले दोनों मैचों में जबरदस्त प्रभाव छोड़ा है। टीम ने अपने पहले मुकाबले में पोलैंड को 5-1 से और दूसरे मुकाबले में जापान को 4-3 से धोया था।
मनप्रीत सिंह की कप्तानी वाली भारतीय टीम पिछले मैच की गलतियों से सीख लेते हुए आगे बढ़ने का प्रयास करेगी। वैसे मलेशिया उलटफेर वाली टीम मानी जाती है। यह टीम कई अवसरों पर बड़ी से बड़ी टीमों का गणित बिगाड़कर उन्हें उलटफेर का शिकार बनाती रही है।
भारतीय टीम साल 2010 में ग्वांग्झू एशियन गेम्स के अहम सेमीफाइनल मुकाबले में मलेशिया के खिलाफ हार का ग़म झेल चुकी है। तब मलेशिया ने अंतिम मिनट मैच का पासा पलटते हुए भारत को 4-3 से हराते हुए उसके गोल्ड जीतने के सपने पर पानी फेर दिया था।
इतना ही नहीं साल 2018 में जकार्ता में आयोजित हुए एशियन गेम्स में भी भारत की राह में मलेशिया ही सबसे बड़ी बाधा बनी थी। तब भी सेमीफाइनल मुकाबले में ही उसने भारत को पेनल्टी शूटआउट में 7-6 से हराया था।