खिलाड़ियों की सफलता के पीछे माता-पिता का भी हाथ, उन्हें भी सम्मानित किया जाए-
देश में खेलों को लेकर लोगों की सोच में काफी बदलाव आया है। आज खेल के प्रत्येक क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाडिय़ों को भरपूर प्यार और सम्मान मिल रहा है। देशवासियों का यह प्यार ही युवा खिलाडिय़ों में जोश भरता है और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। सरकारें पहले की तुलना में खेलों को लेकर ज्यादा सजग हैं और खिलाडिय़ों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश में लगी हुई है। प्रतिभाशाली खिलाड़ी को तैयार करने में उसके माता-पिता को जो कष्ट झेलने पड़ते हैं। मेरा मानना है कि सरकारों को चाहिए कि वह खिलाडिय़ों के साथ ही साथ उनके माता-पिता को भी सम्मानित करने का कार्य करें।
नीरज चोपड़ा, गोल्ड मेडल विजेता
पिता रोज 40 किमी दूर से मेरे लिए दूध लाते थे-
किसी भी खिलाड़ी के पीछे उसके माता पिता की भूमिका होती है। अपने बच्चों को एक अच्छा खिलाड़ी बनाने के लिए माता पिता जो कुर्बानी देते हैं, उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। मेरे पिता मेरे स्टेडियम से 40 किमी दूर गांव से रोज मेरे लिए दूध लेकर आते थे। मैं उन्हें कई बार मना करता था, लेकिन उन्होंने हमेशा यही कहा- मैं अपना काम कर रहा हूं, तुम अपने लक्ष्य पर ध्यान दो। इसी वजह से मैं देश के लिए ओलंपिक में पदक जीत कर लाया।
रवि दहिया, पहलवान, सिल्वर मेडल
जूतों के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी-
किसी भी खिलाड़ी की सफलता में खिलाड़ी के साथ मात-पिता के त्याग और तपस्या का महत्वपूर्ण योगदान होता है। सरकारें कितना भी प्रयत्न कर लें, बच्चों को असल प्रोत्साहन अभिभावक ही देते हैं। मैं टूटे-फूटे घर में रहती थी, जिसमें बारिश होने पर पानी टपकता था। जूते खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते थे, लेकिन माता-पिता ने कभी हौसला टूटने नहीं दिया। बुनियादी स्तर पर सुविधाओं के विस्तार की जरूरत है।
– रानी रामपाल, कप्तान, भारतीय महिला हॉकी टीम