कप्तान हरजीत सिंह के पिता रामपाल ट्रक ड्राइवर हैं। हरजीत उस वक्त तेज अदरक वाली चाय टीम के लिए बनाता है, जब पूरी टीम मैच स्ट्रेटेजी में व्यस्त होती है। ऐसा हरजीत ने पिता से ही सीखा, जो पूरे घर के लिए गर्म अदरक वाली चाय बनाते थे और सर्व करते थे।
हरजीत सिंह अकेला खिलाड़ी नहीं है टीम में, जिसके पिता ड्राइवर हैं। हरजीत के अलावा सात और खिलाड़ी हैं जिनके पिता ड्राइवर हैं। गोलकीपर विकास दहिया और कृष्ण बहादुर पाठक, डिफेंडर हरमनप्रीत सिंह, वरुण कुमार, मिडफिल्डर सुमित कुमार, फारवर्ड अजीत कुमार पांडे के पिता ने जरूर इन्हें हॉकी नहीं सिखाई लेकिन इनके पिता ही इनकी ड्राइविंग फोर्स हैं।
अजीत कुमार के पिता जय प्रकाश तेज बहादुर सिंह के यहां ड्राइवर थे, जो गाजीपुर में भइया जी नाम से प्रसिद्ध हैं। हॉकी लवर तेज बहादुर सिंह ने स्कूल में एक एकेडमी की शुरूआत की, जहां पर अजीत कुमार पढ़ते थे। अजीत की हॉकी में रुचि नहीं थी, पर तेज बहादुर व जयप्रकाश की बातचीत ने उन्हें ग्राउंड पर पहुंचाया।
हरमन टीम के स्टार ड्रैग फ्लिकर हैं। हरमन इस कला के पीछे पिता के ट्रैक्टर सिखाने को वजह बताते हैं। हरमनप्रीत ने बताया उनके लिए गेयर शिफ्ट करना मुश्किल रहता था, लेकिन जोर लगाकर प्रयास में वो सफल होते गए। इसकी वजह से बस देखते ही देखते डोले बन गए और ये पेनल्टी कॉर्नर करने में बड़ा काम आता है।
ये भी कम नहीं वहीं वरुण के पिता ब्रहमानंद पंजाब के मीठापुर में मैटाडोर 407 चलाते हैं। गोलकीपर विकास दहिया के पिता सोनीपत में निजी फर्म में ड्राइवर हैं। बैकअप गोलकीपर कृष्ण बहादुर के पिता तेज बहादुर हाल ही में दुनिया में नहीं रहे, वो भी क्रेन ऑपरेटर थे। सुमित के पिता राजी प्रसाद वाराणसी में प्राइवेट फर्म में ड्राइवर हैं। सुमित ने क्वार्टर फाइनल जीत में अहम भूमिका निभाई थी।