पांच महाद्वीपों को दर्शाती हैं ये 5 रिंग
ओलंपिक खेलों के लिए 5 अलग—अलग रंगों की रिंग का प्रयोग किया जाता है। ये रिंग होती है एक जैसी ही हैं, लेकिन इनके रंग अलग—अलग होते हैं। दरअसल, ये जो 5 रिंग होते हैं, यह ओलंपिक खेलों के चिन्ह होते हैं। ओलंपिक की ये पांच रिंग दुनिया के पांच मुख्य महाद्वीपों को दर्शाते हैं। इनमें एशिया, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया या ओसिनिया, यूरोप और अफ्रीका शामिल हैं।
यह भी पढ़ें— टोक्यो पैरालंपिक में भारत को मिल सकता है पहला गोल्ड मेडल, टेबल टेनिस के फाइनल में पहुंची भाविना पटेल
पांच रिंगों के अलग—अलग रंगों का अर्थ
ओलंपिक के प्रतीक के रूप में उपयोग में ली जाने वाली इन 5 रिंगों के अलग—अलग रंगों का महत्व भी अलग—अलग है। ओलंपिक की इन पांच रिंग को पियरे डी कुबर्तिन ने बनाया था। पियरे डी कुबर्तिन को ओलंपिक खेलों के सह-संस्थापक के नाम से भी जाना जाता है। इन पांच रिंग का डिजाइन वर्ष 1912 में किया था। हालांकि इन्हें सार्वजानिक रूप से वर्ष 1913 में स्वीकार किया गया था। इनमें नीले रंग की रिंग यूरोप के लिए, पीला रंग एशिया के लिए, काला रंग अफ्रीका के लिए, हरा रंग ऑस्ट्रेलिया या ओशिनिया के लिए और लाल रंग अमरीका का प्रतीक होता है। अफ्रीका के लिए काला इसलिए होता है क्योंकि वह पिछड़ा और गरीब है।
यह भी पढ़ें— Tokyo Paralympics 2020: भारत ने पैरालंपिक में अब तक जीते 4 गोल्ड मेडल, जानिए सिल्वर और ब्रॉन्ज कितने जीते
पियरे डी कुबर्तिन ने ही बनाया था ओलंपिक ध्वज
वहीं ओलंपिक ध्वज को भी पियरे डी कुबर्तिन ने ही बनाया था। इस ध्वज को सफेद रंग का इसलिए बनाया गया क्योंकि ध्वज सिल्क का बनाना होता है और इस पर ओलंपिक के चिन्ह पांच रिंग बनाए गए हैं। वहीं ओलंपिक खेलों का मोटो तीन लैटिन शब्दों से मिलकर बना है। सिटियस, अल्शियस, फोर्तियस ये शब्द हैं। इनका अर्थ होता है तेज, ऊंचा और साहसी।