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चक दे इंडिया के शाहरुख खान की तरह है इस कोच की कहानी, भारत के वर्ल्डकप जीतने के बाद इसलिए रो पड़े

Published: Dec 19, 2016 06:14:00 pm

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balram singh

हरेंद्र ने खिलाड़ियों में आत्मविश्वास और हार नहीं मानने का जज्बा भरा। उन्होंने युवा टीम को व्यक्तिगत प्रदर्शन के दायरे से निकालकर एक टीम के रूप में जीतना सिखाया।

coach harendra singh

coach harendra singh

भारतीय जूनियर हॉकी टीम ने बेल्जियम को 2-1 से हराकर जूनियर हॉकी वर्ल्‍डकप का खिताब अपने नाम कर लिया। इस जीत का कोच हरेंद्र सिंह को 11 साल से इंतजार था और वे इस खिताब को जीतने के बाद रो पड़े।
गौरतलब है कि 11 बरस पहले रोटरडम में कांसे का तमगा नहीं जीत पाने की टीस कोच हरेंद्र के दिल में नासूर की तरह घर कर गई थी और अपनी सरजमीं पर घरेलू दर्शकों के सामने इस जख्म को भरने के बाद कोच हरेंद्र सिंह अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सके।
भारत के फाइनल में प्रवेश के बाद जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘यह मेरे अपने जख्म है और मैं टीम के साथ इसे नहीं बांटता। मैंने खिलाड़ियों को इतना ही कहा था कि हमें पदक जीतना है, रंग आप तय कर लो। 
उन्होंने कहा कि रोटरडम की वह हार मेरे लिए जख्म थी और मैं एक पल के लिये भी भूल नहीं सका था।’ आपको बता दें कि रोटरडम में कांस्य पदक के मुकाबले में स्पेन से भारत पेनल्टी शूट आउट में हार गया था।
एक तरह से देखा जाए तो उनका किरदार ‘चक दे इंडिया’ के कोच कबीर खान (शाहरूख खान) की तरह ही है। उस फिल्म में शाहरुख भी अपने पर लगे कलंक को मिटाने के लिये एक युवा टीम की कमान संभालता है और उसे विश्व चैम्पियन बनाता है।
उसी तरह हरेंद्र ने खिलाड़ियों में आत्मविश्वास और हार नहीं मानने का जज्बा भरा। उन्होंने युवा टीम को व्यक्तिगत प्रदर्शन के दायरे से निकालकर एक टीम के रूप में जीतना सिखाया।

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